Spread the love

प्रदीप कुमार ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। सिद्धपीठ कालीमठ के मन्दिर परिसर की सुरक्षा दीवाल के निचले हिस्से में धीरे-धीरे सरस्वती नदी के कटाव होने से सुरक्षा दीवाल को खतरा बना हुआ है,यदि बरसात से पूर्व नदी के कटाव वाले स्थान का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो आगामी बरसात के समय सुरक्षा दीवाल को भारी क्षति पहुंच सकती है।

स्थान जनप्रतिनिधियों,ग्रामीणों व विद्वान आचार्यों का कहना है कि शासन-प्रशासन को कई बार नदी के कटाव से हो रहे स्थान का ट्रीटमेंट करने की गुहार लगायी गयी है मगर शासन-प्रशासन के नुमाइंदे सरस्वती नदी के कटाव वाले स्थान का ट्रीटमेंट करने को राजी नहीं है। वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी ने बताया कि वर्ष 16/17 जून 2013 को सरस्वती नदी के उफान में आने के कारण सिद्धपीठ कालीमठ मन्दिर परिसर की सुरक्षा दीवाल पूर्णतया क्षतिग्रस्त हो गयी थी। सुरक्षा दीवाल के क्षतिग्रस्त होने के बाद वर्ष 2014 में बीएसएफ द्वारा 80 मीटर सुरक्षा दीवाल का निर्माण किया गया था! बीते बरसात में सरस्वती नदी का वेग सुरक्षा दीवाल की तरफ होने से सरस्वती नदी के कटाव से सुरक्षा दीवाल को खतरा बना हुआ है! यदि आने वाले बरसात से पूर्व सरस्वती नदी के कटाव वाले स्थान का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो सुरक्षा दीवाल का खतरा उत्पन्न हो सकता है। सिद्धपीठ कालीमठ मन्दिर के प्रबन्धक प्रकाश पुरोहित ने बताया कि विगत बरसात में सरस्वती नदी का वेग सुरक्षा दीवाल की तरफ होने से सुरक्षा दीवाल के निचले हिस्से में भू-कटाव शुरू हो गया है तथा बरसात से पूर्व सरस्वती नदी के तेज बहाव के कारण हो रहे भू-कटाव का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो सुरक्षा दीवाल को खतरा उत्पन्न हो सकता है। विद्वान आचार्य दिनेश चन्द्र गौड़ ने बताया कि बीते बरसात के समय सरस्वती नदी के कटाव से सुरक्षा दीवाल को नुकसान होता शुरू हो गया था तथा आगामी बरसात से पूर्व सरस्वती नदी के वेग से हो रहे कटाव का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो बरसात में सुरक्षा दीवाल को भारी नुकसान हो सकता है। उन्होंने बताया कि शासन-प्रशासन से कई बार सुरक्षा दीवाल के ट्रीटमेंट की गुहार लगाई गयी है मगर आज तक सरस्वती नदी के वेग से हो रहे कटाव का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है। मठापति अब्बल सिंह राणा का कहना है कि सरस्वती नदी के वेग से हो रहे कटाव की सुरक्षा के लिए कई बार सिंचाई विभाग व पर्यटन विभाग से गुहार लगाई गयी है मगर आज तक कटाव वाले स्थान का ट्रीटमेंट नहीं हो पाया है उन्होंने बताया कि भण्डार कक्ष के नीचे भी लगातार भू-धंसाव होने से भण्डार कक्ष का अस्तित्व खतरे में है तथा चैत्र व शारदीय नवरात्रों में भण्डारें का आयोजन करने वाले श्रद्धालुओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp