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प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड के जंगलों में आग की लपटों का तांडव खिर्सू के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में भयंकर आग की लपटों से हरे भरे जंगलों में लाखों की वन सम्पदा का एक बड़ा हिस्सा जल कर खाक हो गया। उत्तराखंड के जंगलों में कई दिनों से हर रोज कहीं हेक्टर जंगल जलते जा रहे हैं। खिर्सू क्षेत्र के जलेथा,बलोड़ी,सरणा,सुमाड़ी,बुघाणी,गहड़,हरकण्डी,पोखरी,कमेड़ी,सपलोड़ी,सरणा-भटग्याव आदि जंगल धधक रहें हैं,आग की लपटों से चीड़,बांज,बुरांश,काफल,हिसर,तेजपत्ता,किनगोड़,देवदार,भीमल आदि बहू मूल्य जंगली फल,इमारती लकड़ी आग की भेंट चढ़ रहें हैं। वहीं वन्य जीवों के अस्तित्व पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। आग लगने से चारों ओर धुआं ही धुआं फैलने से लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। वहीं जंगलों में पशुओं को घास उपलब्ध न होने से पशुपालकों को काफी चिंता हो रही है की घास कहां से लाया जाए, जंगल तो पूरे जल गए तो ग्रामीण महिलाएं हरा चारा घास कहां से लाएंगे।

जिम्मेदार विभागीय अधिकारी नाकाम साबित हो रहे हैं जंगलों को बचाने के लिए धरातल में कोई ठोस रणनीति दिखाई नहीं दे रही है। उत्तराखंड क्षेत्र में न जाने कितने दुर्लभ वृक्ष,जड़ी-बूटियां बन सम्पदा वह पशु पक्षी,वेश कीमती जंगल आग की भेंट चढ़ चुके हैं। सरकार की निष्क्रियता के कारण खामियाजा प्रकृति व जनता को पकड़ना पड़ता है। राज्य सरकार कोई ठोस कदम उठाए जिससे जंगलों में लग रही आग पर काबू पाया जा सके। खिर्सू क्षेत्र के सभी स्थानीय लोगों से अपील की जाती है कि जंगल में किसी प्रकार की बीड़ी सिगरेट आदि का इस्तेमाल न करें। उत्तराखंड के क्षेत्र में न जानें कितने वेष किमती पेड़ पौधे वनाग्नि से खाक हो रहे हैं। वन विभाग के पास इतने संसाधन भी नहीं है कि जंगल की आग पर काबू पाया जा सके। जंगलों में कीड़े-मकोड़ों का संसार,चिड़ियों के घोंसले आदि के अस्तित्व पर भी खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में आग फैलने का मुख्य कारण है चीड़ की पत्तियां जिन्हें पिरुल भी कहते हैं। अगर समय पर पिरुल को हटाया जाए तो आग से वनस्पतियां बचाई जा सकती हैं। जंगलों में जानबूझकर आग लगने वाले शरारती तत्व अभी बाज नहीं आ रहे हैं इन लोगों पर भी शक्ति से कार्यवाही होनी चाहिए। नागदेव रेंज के वन क्षेत्राधिकारी ललित मोहन नेगी ने कहा कि आग की घटनाओं से सिविल क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने बताया कि बुबाखाल, खिर्सू नागदेव रेंज के अनुभाग वनकर्मी व फायर वाचर तैनात रहे जिससे आग पर पूर्ण रूप से काबू पाया गया। वनों में आग लगने की घटना से वनकर्मी आजकल दिन रात तैनात हैं,वनों को अग्नि से बचाने के लिए जन सहयोग की नितांत आवश्यकता है। उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग की घटनाओं को सरकार गंभीरता से संज्ञान लेकर समाधान करें। अपने देवभूमि के हरे-भरे वेश किमती जंगलों को ए की लपटों से बचाए।

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