बसन्त पंचमी: 2 फरवरी को मनाएं ऋतुओं का राजा और मां सरस्वती की पूजा-अखिलेश चंद्र चमोला
प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल।नशा उन्मूलन नोडल अधिकारी,गढ़वाल मंडल शिक्षा विभाग उत्तराखंड।भारत वर्ष को ऋतुएं का देश भी कहा जाता है। यहां पर बसन्त,ग्रीष्म,शरद,हेमन्त,शिशिर ऋतुओं की अनुपम छटा देखने को मिलती है।इन सब ऋतुओं को अपना अलग महत्व है।लेकिन बसन्त ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है। शास्त्रों में बसन्त ऋतु के सन्दर्भ में कहा गया है जिस ऋतु में मानवीय जगत ही नहीं,अपितु प्रकृति प्रदत्त वृक्ष लता आदि भी आनंदित होते हैं।उसे बसन्त कहते हैं।माघ मास की शुक्ल पंचमी को बसन्त पंचमी मनाई जाती है।मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का प्रकटीकरण हुआ था। इस कारण आज के दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस वर्ष बसन्त पंचमी की शुरुआत 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट पर शुरू होकर 3 फरवरी को सुबह 6 बजकर52 मिनट पर सम्पन्न होगी। ज्योतिषीय विश्लेषण के अनुसार इस पर्व पर क्ई तरह के शुभ योग जैसे शिव योग,सिद्ध योग व रवि योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष ऊं ह्लीं ऐ ह्लीं ऊं सरस्वत्यै नमःका ग्यारह सौ बार जाप करना चाहिए। इससे मन को अलौकिक शान्ति मिलती है।प्रतिकूल परिस्थिति आने पर भी आत्म विश्वास नहीं डगमगाता है।सुखद पहलूओ की अनुभूति होने लगती है। इस दिन मां सरस्वती की पूजा करने के साथ ही पीले वस्त्र तथा हल्दी का तिलक लगाने का भी विधान है। इस पर्व में पीले रंग का अत्यधिक महत्व माना जाता है।पिला रंग सुख समृद्धि का प्रतीक है। फूलों पर वयार आ जाती है। खेती में पीली सरसों के मनमोहक दृश्य सबको अपनी ओर आकर्षित कर देती है।लगता है कि खेतों में पीली चादर बिछी हुई है। इस पर्व को ऋषि पंचमी के नाम से भी जाना जाता है।बसन्त पंचमी में किसी कार्य करने की शुरुआत के लिए मूहूर्त की आवश्यकता नहीं होती है।यह दिन अपने आप में बड़ा ही शुभ कारी माना जाता है।इस पर्व पर जन्म लेना भी अहो भाग्य का प्रतीक माना जाता है। ऐसा व्यक्ति भविष्य में निश्चित रूप से नया कीर्तिमान स्थापित कर देता है।इस दिन प्रगति वादी काव्य धारा के प्रेणेता सूर्य कान्त त्रिपाठी निराला जी का जन्म हुआ था।यह पर्व प्रमुख देश भक्त वीर बालक हकीकत की भी याद दिलाता है।जबरन इस्लाम धर्म स्वीकार करने पर वह शहीद हो गया था। महाकवि कालिदास ने इसे ऋतु उत्सव तथा हजारी प्रसाद द्विवेदी ने मादक उत्सवों का काल कहा है।बसन्त पंचमी के आगमन पर सम्पूर्ण धरती पर हरियाली छा जाती है। खेत सुंदर दिखाई देने लगते हैं। चारों ओर हरितिमा ही हरितिमा छा जातीं है।