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उत्तराखण्ड निवासियों के लिए मूल निवास भू-कानून और रोजगार की मांग समाजसेवी पृथ्वी सिंह बिष्ट ने मुख्यमंत्री से की निवेदन

प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल।उत्तराखण्ड निवासियों के लिए स्थाई निवास नहीं बल्कि मूल निवास,भू-कानून एंव शिक्षित गरीब युवा बेरोजगार भाई-बहनो को रोजगार दिलाने जैसा सख्त कानून बनाने के सन्दर्भ में समाजसेवी पृथ्वी सिंह बिष्ट ने मुख्यमंत्री से निवेदन है कि उपरोक्त विषयक हमने एक पत्र आपको प्रषित किया था किन्तु अतयन्त दुख के साथ यह लिखना पड रहा है कि दिनांक 19 अक्टूबर 2024 की विकास सिह पंवार राजस्व उप निरीक्षक पटटी कटूलस्यूँ तहसील श्रीनगर श्रीनगर गढ़वाल,जनपद-पौड़ी गढ़वाल द्वारा लिखा गया है कि जो हमने 1 से 9 विन्द्रओं का उल्लेख किया है उस पर कोई कार्यवाही नही हो सकती है प्रार्थी द्वारा सी.एम.हेल्प लाईन अन्तर्गत उल्लिखित कथनों के सम्बन्ध में राजस्व निरीक्षक से आख्या प्राप्त की गयी। राजस्व उप निरीक्षक द्वारा अपनी आख्या में अवगत कराया है कि प्रार्थी राकेश सिंह असवाल एवं पृथ्वी सिंह बिष्ट द्वारा प्रस्तुत पत्र में उत्तराखण्ड निवासियों के लिए स्थायी निवास नहीं,बल्कि मूल निवास,भू कानून एवं शिक्षित गरीब युवा बेरोजगारों भाई बहनों को रोजगार दिलाने जैसा सख्त कानून बनान के सम्बन्ध में बिन्दु संख्या 1 से 9 तक पर इस स्तर से कोई कार्यवाही की जानी संभव नहीं है। बिन्दु संख्या 1 से 9 तक उल्लिखित सभी बिन्दुओं से सम्बन्धित जांच शासन स्तर से अपेक्षित है।सामाज सेवी पृथ्वी सिंह बिष्ट ने मुख्यमंत्री से ये जानना चाहता हूँ कि उपरोक्त विषय सिर्फ एक श्रीनगर श्रीनगर गढ़वाल से समबन्धित मामला नहीं है ये तो पूरा उत्तराखण्ड के 13 जिलों का विषय है। मूल निवास,भू-कानून एंव शिक्षित गरीब युवा बेरोजगार भाई-बहनो को रोजगार लेना तो हर जिले के निवासियों का अधिकार है मेरा हमारे उर्जावान मुख्यमंत्री से निवेदन है उत्तराखण्ड राज्य के भाजपा और कांग्रेस के नेताओं से पूछा जाना चाहिए की 30 अक्टूबर 2011 में जो लोकपाल बिल मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खण्डूरी द्वारा प्रस्तुत किया गया था वह अभी तक क्यों नही लागू हुआ है।उत्तराखण्ड राज्य के मूल निवासियो (जिनकी कि पुस्तैनी जमीन हो न कि वो जो कि उत्तराखण्ड वननें के बाद अन्य राज्यों से उत्तराखण्ड स्थाई निवासी बन गये) को हर सरकारी नौकरी में कम से कम 85 प्रतिशत का आरक्षण हो चाहे वो किसी भी जाति से हो।उत्तराखण्ड सरकार का भू-कानून विधेयक बिल आज तक लागू क्यू नही हुआ,भू-कानून इस तरह से होना चाहिए,उत्तराखण्ड का मूल निवासी ही जमीन खरीद सकता है (हिमाचल प्रदेश जैसा) और कोई नही.क्योकि आज अगर उत्तराखण्ड में भू-कानून सख्त होता तो बहिन अंकिता भंडारी आज हमारे बीच होती।उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलनकारी जो कि शहीद हो गये उनके सपने आज 24 साल बाद भी साकार नही हुए शायद उन शहीद भाइयों बहनो एवं माताओं ने भी कभी यह सपने में भी नही सोचा होगा कि जिस राज्य निमार्ण के लिए हम अपने प्राणों का वलिदान दे रहे है उस राज्य की सरकार एंव राजनेताओं ऐसें होगे।गैरसैण राजधानी के नाम पर क्यो उत्तराखण्ड राज्य के निवासियों को पिछले 24 साल से छला जा रहा है। जब इन माननीयों ने देहरादून में ही रहना है और राजधानी भी देहरादून में ही होनी है तो क्यो जनता का इतना पैसा गैरसैण राजधानी के नाम पर बर्बाद हो रहा है।क्यो एक सांसद एवं विधायक जो कि सिर्फ 5 साल के लिए चुने जाते है,इतनी सुख सुविधाए मिलनें के बाद भी पैंशन लेने के हकदार है और जिनको उनकी सांसद एवं विधायक सुरक्षा जा जिम्मा है वै पैंशन पाने के हकदार नही ये हमारे देश के लिए एक बडी विडम्बना है। इसलिए सांसद एवं विधायक की भी पैंशन बन्द हो क्योंकि वो तो जनता के सेवक है फिर पैंशन पाने के हकदार क्यों।क्यो नही आरक्षण की समस्या का एक स्थाई समाधान निकाल लिया जाय ये सरकारे चाहे वो किसी पार्टी की हो,आम जनता को कितनी परेशानी हो रही ये कोई नही जानता है इसमे बोट बैंक की राजनीति है क्यो नही सरकार एक ऐसा विधेयक ला रही है जो समस्या का समाधान हो जाय।क्यो नही सरकार अपने मंत्री,विधायको एवं जो भी उनके प्रतिनिधि है,के अनावश्यक खर्चों पर लगाम लगा रही है जिससे कि लाखों शिक्षित गरीब युवा बेरोजगार भाई-बहनो को रोजगार मिले।

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