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हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय में “उद्यमिता और शैक्षणिक अनुसंधान में बौद्धिक संपदा अधिकारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका” पर कार्यशाला आयोजित

प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल।हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के शैक्षणिक क्रियाकलाप केंद्र,चौरास परिसर में “उद्यमिता और शैक्षणिक अनुसंधान में बौद्धिक संपदा अधिकारों की महत्त्वपूर्ण भूमिका” शीर्षक पर एक शोधार्थी कौशल विकास कार्यशाला सफलतापूर्वक आयोजित की गई। कार्यशाला को उत्तराखंड विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट) द्वारा प्रायोजित और संस्थान की नवाचार परिषद (आई.आई.सी.) गढ़वाल विश्वविद्यालय,देवभूमि विज्ञान समिति (विभा) और देवभूमि विचार मंच (प्रज्ञा प्रवाह) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य नवाचार,शैक्षणिक अनुसंधान और उद्यमिता को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) की महत्त्वपूर्ण भूमिका पर वैज्ञानिक चर्चा करना था।कार्यक्रम की शुरुआत एक उद्घाटन सत्र के साथ हुई जिसमें अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ माननीय कुलपति प्रो.एम.एम.एस.रौथाण द्वारा दीप प्रज्वलन किया गया। इसके बाद आई.आई.सी.के अध्यक्ष डॉ.राम साहू ने स्वागत भाषण दिया और प्रतिभागियों को कार्यक्रम की जानकारी दी। प्रोफेसर हेमवती नंदन,निदेशक,शोध एवं अनुसंधान ने शैक्षणिक अनुसंधान और आईपीआर की आवश्यकता पर ज़ोर देते हुए अपने व्यक्तव्य साझा किए।कुलपति प्रो.रौथाण ने प्रतिभागियों को सम्बोधित करते हुए आईपीआर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के महत्त्व को रेखांकित किया और “विकसित भारत” के निर्माण में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।डॉ.रोहित महार द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ उद्घाटन सत्र का समापन हुआ।एक दिवसीय

कार्यशाला के कार्यक्रमों में छह विशेषज्ञ वक्ताओं की गहन वार्ता,एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता और एक पैनल चर्चा शामिल थी,जिसका उद्देश्य आईपीआर और इसके महत्त्व की समझ को बढ़ाना था।प्रथम वक्ता,प्रो.हेमवती नंदन ने शोध से सम्बंधित आवश्यक शब्दावली,जैसे साहित्यिक चोरी,डेटा निर्माण और लेखक योगदान के बारे में चर्चा की।उन्होंने नैतिक अनुसंधान प्रथाओं के महत्त्व पर ज़ोर दिया और नकली लेखकत्व,डेटा हेरफेर और साहित्यिक चोरी जैसी धोखाधड़ी गतिविधियों को हतोत्साहित किया। डॉ.धर्मेंद्र त्रिपाठी,एनआईटी उत्तराखंड द्वारा आईपीआर के विभिन्न स्वरूपों पेटेंट,कॉपीराइट,भौगोलिक संकेत (जीआई) ट्रेडमार्क और नवाचारों और रचनाओं की सुरक्षा में उनके महत्त्व पर चर्चा की गई।डॉ.लोकेश जोशी,गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय,हरिद्वार द्वारा एक प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता द्वारा प्रतिभागियों ने आईपीआर के बारे में अपने ज्ञान का परीक्षण किया। गूगल प्रपत्र का उपयोग करके प्रतिभागियों ने विभिन्न प्रश्नों के उत्तर दिए और विजेताओं को बाद में पुरस्कार प्रदान किए गए। मध्यान भोजन के बाद का सत्र डॉ.डी.पी.उनियाल,संयुक्त निदेशक, यूकोस्ट के वक्तव्य के साथ फिर से शुरू हुआ। उन्होंने पेटेंटिंग प्रक्रिया,पेटेंट आवेदनों की प्रमुख विशेषताओं और पेटेंट हासिल करने से सम्बंधित अन्य आवश्यक ज्ञान की गहन व्याख्या प्रदान की। डॉ.रवींद्र कुमार,गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय,हरिद्वार ने कई वास्तविक दुनिया के उदाहरणों के साथ पेटेंट कानूनों और प्रमुख शब्दावली पर एक सत्र का अनुसरण किया।अंतिम सत्र में डॉ.आशीष बहुगुणा,डॉ अम्बेडकर उत्कृष्टता केंद्र,हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा व्याख्यान दिया गया। डॉ.बहुगुणा ने आईपीआर के संदर्भ में पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने बताया कि कैसे विदेशी संस्थाएँ अक्सर पारंपरिक ज्ञान का दोहन करती हैं और आईपीआर के तहत इसके संरक्षण की आवश्यकता पर ज़ोर दिया।उन्होंने आईपीआर से सम्बंधित विभिन्न नियामक निकायों और सम्मेलनों पर भी चर्चा की और पेटेंट,ट्रेडमार्क और कॉपीराइट के कई उदाहरण प्रदान किए।कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार की घोषणा की गई।शोधार्थी मेघा रावत एवं सुहानी श्रेय ने क्रमशः प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त किया। सोहम साधुखान,सोनाली,अमीषा और मोहम्मद इंजमामुल हक़ संयुक्त रूप से तीसरा स्थान हासिल किया। क्विज विजेताओं को पुरस्कार वितरण क्या गया।डॉ.राम साहू द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।कार्यशाला ने सफलतापूर्वक शैक्षणिक अनुसंधान और उद्यमिता में आईपीआर की भूमिका की गहरी समझ प्रदान की।कुल मिलाकर,कार्यशाला एक जानकारीपूर्ण और आकर्षक मंच रही जिसने प्रतिभागियों को आईपीआर की जटिलता को आसानी से समझने के लिए आवश्यक ज्ञान प्रदान किया।कार्यक्रम का संचालन रिसर्च स्कॉलर हिमांशु रावल और युक्ति नौटियाल ने किया। कार्यशाला में लगभग 100 शोधार्थी, शिक्षकों,विशेषज्ञों एवं छात्र छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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