Spread the love

38वें राष्ट्रीय खेल: भारत के खेल भविष्य की नई दिशा

प्रदीप कुमार
देहरादून/श्रीनगर गढ़वाल।उत्तराखंड में आयोजित 38वें राष्ट्रीय खेल सिर्फ एक प्रतियोगिता तक सीमित नहीं हैं,बल्कि यह भारत के खेल भविष्य को नया आकार दे रहे हैं। यह खेल आयोजन प्रतिभा विकास,और नवाचार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रहा है। ग्रासरूट स्तर पर खेलों का विकास इस आयोजन का सबसे बड़ा प्रभाव निचले स्तर पर खेलों के विकास में देखा जा रहा है।देशभर से युवा एथलीटों की भागीदारी ने यह साबित कर दिया है कि खेल प्रतिभा सिर्फ महानगरों तक सीमित नहीं है।छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों से आए खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा साबित की है, जिससे आने वाली पीढ़ी को खेलों को गंभीरता से लेने की प्रेरणा मिलेगी।खेल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार उत्तराखंड में खेलों के लिए तैयार की गई विश्वस्तरीय सुविधाएं भविष्य के आयोजनों के लिए एक मानक स्थापित कर रही हैं।राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम और अन्य स्थानों पर खेल प्रतियोगिताओं के सफल आयोजन ने दिखाया है कि खेल इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश से प्रदेश के खिलाड़ी और बेहतर कर सकते हैं। पर्यावरण-अनुकूल आयोजन इस राष्ट्रीय खेल आयोजन की एक और विशेषता इसकी पर्यावरण-अनुकूल पहल है।कचरा प्रबंधन और सस्टेनेबल डेवलेपमेंट की दिशा में किए गए प्रयास भविष्य की खेल प्रतियोगिताओं के लिए मिसाल बन रहे हैं। इस तरह,38वें राष्ट्रीय खेल सिर्फ पदक जीतने तक सीमित नहीं हैं,बल्कि यह भारत में खेल संस्कृति को एक नई दिशा देने वाला आंदोलन साबित हो रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp