जड़ी-बूटी के साथ अंतरफसल उगाकर अच्छी आय कमा सकते हैं किसान:प्रो.मैखुरी
प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल ।हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध केंद्र (हैप्रेक),क्षेत्रीय सह सुविधा केंद्र (उतरी क्षेत्र-1) राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड,आयुष मंत्रालय,जोगिंदर नगर,हिमाचल प्रदेश और उद्योगिनी संस्था के संयुक्त तत्वावधान में दो दिनों तक औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती,मूल्य संवर्धन एवं बाजार एकीकरण विषय पर चली क्षेत्रीय कार्यशाला का समापन हुआ।कार्यक्रम में काश्तकारों ने जड़ी-बूटी के उगाने और उसके विपणन से सम्बंधित जानाकरी प्राप्त की। कार्यक्रम के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि गढ़वाल विवि के पर्यावरण विज्ञान
विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो.आरके मैखुरी ने कहा कि जब तक सरकार की वन नीति को स्पष्ट नहीं होती तक तक किसान जड़ी-बूटी की खेती नहीं कर सकता है। कहा कि लगातार महत्वपूर्ण जड़ी-बूटी का अवैध संग्रह हो रहा है,लेकिन इसका फायद काश्तकारों को न मिलकर सीधा कंपनियों को मिल रहा है।कहा कि जक तक हमारी वन नीति सहीं नहीं होगी तक तक किसान जड़ी-बूटी की खेती को नहीं कर सकता है। कहा
कि वर्तमान समय में यदि किसान समन्वय,सहयोग और मिल जुल कर जड़ी-बूटी के कृषिकरण के साथ-साथ अंतर फसल जैसे सेब,आडू,खुमानी आदि मौसमी पौधों को उगाये तो काश्तकारों इससे अच्छी आय सृजन कर सकेंगा। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि गढ़वाल विवि के वित्त अधिकारी डा.संजय ध्यानी ने हैप्रेक के कार्यों की सरहाना करते हुए हैप्रेक का शोध किसानों तक पहुंच रहा है,जो कि किसी भी संस्थान को उच्चाईयों तक ले जाने बड़ी कामयाबी है। मौके पर जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरणिय संस्थान के डा.के चंद्र शेखर,उद्योगिनी संस्था के परियोजना प्रबंधक शिवम पंत,आरसीएफसी हिमाचल प्रदेश की डा.मिनाक्षी ठाकुर और अविका शुभा सहित झंडू फाउंडेशन के विनोद बिष्ट ने जड़ी-
बुटी के कृषिकरण एवं विपणन के बारे काश्तकारों की जानकारी दी।कार्यक्रम के अंत में हैप्रेक के निदेशक डा.विजयकांत पुरोहित ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर कार्यक्रम के समन्वयक डा.बबीता पाटनी,सचिव डा.विजय लक्ष्मी,सह-सचिव डा.सुदीप,डा.प्रदीप डोभाल,डा.जयदेव चौहान सहित आदि मौजूद थे।