ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र श्रीनगर में महाशिवरात्रि पर त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव का आयोजन
प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल।आज ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र श्रीनगर में आने वाली महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर त्रिमूर्ति शिव जयंती महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इस शुभ अवसर पर मुख्य वक्ता ब्रह्माकुमारीज़ के क्षेत्रीय निदेशक बी.के.मेहरचंद ने आध्यात्मिक रहस्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि
महाशिवरात्रि पर्व,परमपिता परमात्मा ज्योति स्वरूप शिव के अज्ञान अंधकार की कलयुगी रात मे दिव्य अवतरण का यादगार पर्व है।उन्होंने कहा की परमात्मा शिव अजन्मा,अकर्ता,अभोगता है।वो साधारण रूप से माता-पिता जन्म नहीं लेते हैं वो स्वयंभू है सुख-दुख के चक्र से मुक्त हैं,कलियुग के अंत मे आसुरी सम्प्रदाय का विनाश और दैवी सम्प्रदाय की स्थापना का दिव्य कर्तव्य करते हैंI यह पर्व सर्व
पर्वों में महान पर्व है जो हमें काम क्रोध लोभ आदि विषय विकारों पर संपूर्ण विजय दिलाता है।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि प्रोफेसर मंजुला राणा विभाग अध्यक्ष कला संचार एवं भाषा विभाग गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.विमल गुसाईं ने अपने विचार व्यक्त लिए। प्रोफेसर मंजुला राणा ने कार्यक्रम में बुलाने पर संस्थान का आभार प्रकट किया और सभी को महाशिवरात्रि पर्व की शुभकामनायें दीI मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.विमल गुसाईं ने कहा कि ब्रह्माकुमारी बहनें
समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला रही हैं,विशेष नशा मुक्ति के लिए किए जा रहे प्रयासों में उनका योगदान सराहनीय है।कार्यक्रम में नव निर्वाचित नगर निगम पार्षद कैप्टन दिनेश पटवाल,नगर निगम पार्षद पंकज सती,नगर निगम पार्षद प्रवेश चमोली,अक्षीतेश नैथानी,संदीप रावत अंजना डोभाल एवं सुप्रसिद्ध रंगकरकर्मी विमल बहुगुणा भी उपस्थित रहे।कार्यक्रम में शिव ध्वजारोहण किया गया,जिसके पश्चात सभी उपस्थितजनों ने अपने जीवन की बुराइयों को त्यागने एवं सकारात्मक गुणों को अपनाने की प्रतिज्ञा ली। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी नीलम बहन ने मंच संचालन किया एवं राजयोग मेडिटेशन की अनुभूति करवाई।बच्चों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं,जिससे कार्यक्रम का उत्साह और बढ़ गया।
अंत में सभी अतिथियों और आगंतुकों को शिव परमात्मा के स्मृति चित्र देकर सम्मानित किया गया।इस अवसर पर बड़ी संख्या में माताएं,बहनें,बच्चे एवं वरिष्ठ नागरिक उपस्थित थे। शिव जयंती महोत्सव में उमड़ा जनसैलाब इस बात का प्रमाण था कि समाज में आध्यात्मिक जागरूकता तेजी से बढ़ रही है।