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डॉ.अतुल और विजयलक्ष्मी ने एलटीएम और आईईसी सामग्री निर्माण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान हासिल किया

प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (DIET) पौड़ी गढ़वाल द्वारा 21 और 22 फरवरी को एलटीएम (लर्निंग एंड टीचिंग मैटेरियल) एवं आईईसी (सूचना,शिक्षा और संचार) सामग्री निर्माण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता का उद्देश्य जिले में बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता अभियान को गति देना था,जिससे प्रारंभिक कक्षाओं के विद्यार्थियों में पढ़ने,लिखने और गणना करने की दक्षता विकसित हो सके।इस प्रतियोगिता में जिले के विभिन्न ब्लॉकों से चयनित 45 शिक्षकों ने भाग लिया। शिक्षकों ने भाषा एवं संख्यात्मकता के दो प्रमुख विषयों पर अपने नवीन शिक्षण सामग्री प्रस्तुत की। इन शिक्षण सामग्रियों का उद्देश्य बच्चों की बुनियादी शिक्षा को रुचिकर,व्यावहारिक और प्रभावी बनाना था।विशेषज्ञों के निर्णायक मंडल द्वारा गहन मूल्यांकन के बाद 10 श्रेष्ठ शिक्षकों का चयन किया गया जो अब राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में SCERT देहरादून में भाग लेंगे। इस प्रतियोगिता में गणित विषय में पावो विकासखंड के डॉ.अतुल बमराडा व हिंदी विषय में ख़िरसू विकासखंड की विजयलक्ष्मी विष्ट प्रथम स्थान पर रहे।ये शिक्षक अब राज्य स्तर पर अन्य जिलों के प्रतिभागियों के साथ प्रतिस्पर्धा करेंगे और अपने अभिनव शिक्षण संसाधनों को प्रस्तुत करेंगे। प्रतियोगिता के समापन समारोह में डायट पौड़ी गढ़वाल के प्रभारी प्राचार्य शिवानी रावत ने शिक्षकों के

प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि बुनियादी शिक्षा को प्रभावी बनाने के लिए नवाचार और रोचक शिक्षण विधियों का उपयोग आवश्यक है। उन्होंने शिक्षकों को इस तरह के आयोजनों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया।कार्यशाला के समन्वयक जगमोहन कठैत एवं रेनू ने बताया कि इस प्रतियोगिता से जिले में शिक्षण पद्धतियों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद की जा रही है। बच्चों को आकर्षक और इंटरैक्टिव तरीकों से सीखने का अवसर मिलेगा,जिससे वे प्रारंभिक शिक्षा में अधिक रुचि लेंगे। डायट प्रवक्ता विमल ममगाईं ने इस पहल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के उद्देश्यों के अनुरूप बताया और कहा कि यह पहल पूरे राज्य में प्राथमिक शिक्षा के स्तर को सुधारने में सहायक होगी।अब चयनित शिक्षक राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए अपनी तैयारियों में जुट गए हैं।डायट पौड़ी गढ़वाल की इस पहल ने जिले में बुनियादी शिक्षा को सुदृढ़ करने और शिक्षकों को नवाचारी शिक्षण तकनीकों के प्रति प्रोत्साहित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है।

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