उत्तराखंड के किसानों की पीड़ा सामने आई भोपाल सिंह चौधरी ने केंद्र सरकार के साथ वार्ता में रखी बात
प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल।भारत सरकार ने किसानों द्वारा देश में चल रहे किसानआंदोलन के संबंध में न्यू दिल्ली अंबेडकर भवन में देश के कुछ वरिष्ठ किसान नेताओं के साथ सरकार के बड़े अधिकारियों ने वार्ता की,ओर किसानों को समझाने का प्रयास किया,उत्तराखंड राज्य की तरफ से किसान मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं अन्ना हजारे राष्ट्रीय कोर कमेटी टीम के सदस्य भोपाल सिंह चौधरी ने उत्तराखंड के किसानों की पीड़ा को (सीएसीपी) कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के अध्यक्ष के सामने रखा,भोपाल चौधरी ने कहा कि हमारे पहाड़ में शुद्ध आर्गेनिक खेती होती है,जिसमें मंडवा,झगोरा,माल्टा,सेब तौर,उड़द राजमा आदि की ही अधिक पैदावार होती तो है,किंतु वहां जंगली जानवर जैसे सुअर,बन्दर,लंगूर फसलों को नष्ट कर देते है,जिससे किसानों की सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है और किसान टूट जाता है,उसका मन आगे खेती करने का इसलिए नहीं होता कि वो सोचता है कि मेरी फ़िर से की गई मेहनत बेकार चली जाएगी,इन जंगली जानवरों के कारण,इस लिए पहाड़ में बेरोजगारी अधिक है,और यहां का युवा खेती नहीं बल्कि नौकरी के अवसर ढूंढता है,या फिर वहां से पलायन कर बाहर अन्य राज्य में नौकरी करने चला जाता है,जिससे पहाड़ खाली होता जाता है और उसका फायदा यहां अन्य राज्यों से बाहरी कंपनिया,बिल्डर आते है ओर उनकी बंजर भूमि को औने पौने दामों में खरीद कर पॉवर प्रोजेक्ट
लगाकर अच्छा पैसा कमा लेती है,यदि यहां के किसानों के खेतों में तार बाढ़ आदि की सुरक्षा आप देंगे ओर msp खरीद की गारंटी देंगे तो यहां का किसान निश्चित खेती की तरफ अग्रसर होगा,और पूरे देश को अच्छी आर्गेनिक खेती देगा,भोपाल सिंह ने कहा कि हमारे पहाड़ो में बहुत अधिक बांध बनने के कारण जल विषैला हो गया है,जो जल कभी गंगा के रूप में हिमालय से निकलकर जड़ी बूटियों,ओर अनेकों प्रकार की औषधियों को लेकर देश के खेतों में जाता था,और फसलों को नेचरल औषधियां दिया करता था,उससे स्वस्थ अन्न पैदा होता था,किंतु अब वो जल की औषधिया बांधों की झील की नीचे धरती में समा कर रह गई है,अब जो जल बह रहा है उसमें प्राकृतिक जीवाणु कीटाणुओं को नष्ट करने की क्षमता नहीं रही,सरकार ने उत्तराखंड के किसानों को भी खेती ट्रेनिंग के लिए प्रदेश के मंत्रियों को बजट तो दिया है,किंतु उत्तराखंड के मंत्री बताने को तैयार नहीं है कि वो बजट पैसा कहा गया,कही ऐसा तो नहीं कि सिर्फ कागजों में ट्रेनिंग दिखा दी ओर बजट गायब कर दिया,सरकार को पहाड़ी राज्यों की खेती ओर किसानों की तरफ ध्यान देना ही होगा ओर जांच करनी ही होगी कि कृषि के नाम पर जो बजट केंद्र ने दिया गया उस बजट में कितने किसानों को ट्रेनिंग में भेजा