होली की बेला में साहित्य के रंग: जन कवि डॉ.अतुल शर्मा के निवास में संपन्न हुई साहित्यिक गोष्ठी
प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल।जन कवि डॉ.अतुल शर्मा के वाणी विहार देहरादून नवीन निजी निकेतन पर नितांत निराली साहित्यिक गोष्ठी संपन्न हुई। होली आगमन की बेला को काव्य रंगों से सराबोर करने के मंतव्य से आयोजित इस लघु गोष्ठी में विराट फलक से साक्षात्कार करने का सुअवसर प्राप्त हुआ।पंचों ने मुझे अध्यक्ष बनाकर सात्विक साहित्यिक षडयंत्र स्थापित किया। इस सात्विक साहित्यिक षडयंत्र में अभिमंत्रित हुयीं प्राचीन मधुर स्मृतियां।मधुर छंदों का मधुर कंठ से गायन करने वाले सर्व श्रवणीय रचनाकार,पत्रकार,कवि हृदय वीरेन्द्र डंगवाल पार्थ ने फाल्गुनी गीत प्रस्तुत कर इस साहित्यिक अनुष्ठान में प्रारम्भिक आहुति प्रदान की।तत्पश्चात श्रंगार,प्रेम,माधुर्य,आसक्ति अनुराग से लेकर सम सामयिक विषयों को दोहों में पिरोकर जब एक का अनुगमन करती अगली अनेक रचनाएं सुनायीं तो अतुल के अतुलनीय बौद्धिक निकेतन को साहित्यिक संकीर्तन में ढलते देखना सुखद लगा। साहित्यिक गोष्ठी का मनभावन संचालन कर रहीं दीदी रंजना शर्मा ने पार्थ डंगवाल के पश्चात सेवा निवृत्त संयुक्त शिक्षा निदेशक धीर गम्भीर राकेश चंद्र जुगराण को गोष्ठी यज्ञ में काव्य समिधा अर्पण हेतु निवेदन किया। जुगराण ने कोरोना काल की त्रासद दृश्यावली के शब्द चित्रांकन के साथ ही अपने काव्य कोश से हास्य व्यंग्य की वैविध्य रचनाएं चयन कर परिवेश को लोबानी सुगंध से भरपूर कर दिया। संचालिका दीदी रंजना शर्मा ने आमंत्रण प्रक्रिया के मध्य में रिक्त स्थान की आपूर्ति हेतु विभिन्न साहित्यिक संस्मरण साझा कर इस संस्कारित संध्या को अतुलनीय बना दिया।अपने पिता स्व.प्रेम शर्मा के सानिध्य में अपने घर में आयोजित की गयीं ऐसी अनेक काव्य गोष्ठियों जो अब प्रायःआधुनिक काव्य मंच की चकाचौंध से युक्त लुभावनी रोशनी में धुंधली हो गयी हैं के अनुभव साझा किए। रंजना शर्मा जी ने बताया कि घर पर जब राष्ट्रीय कवि सोहन लाल द्विवेदी आते थे तो पिता बारी लगा देते थे कि इस बार इनके हस्त प्रक्षालन कौन भाई बहन करेगा।अगली बार त्रिलोचन शास्त्री के आगमन पर किसका अनुक्रम होगा। इसी प्रकार से ओज के राष्ट्रीय कवि श्याम नारायण पाण्डेय,नागार्जुन,निराला,बच्चन जी,कृष्ण सरोज,गोपाल दास नीरज,डॉ.धनंजय सिंह,जैसे अनेक प्रख्यात कवियों से संबद्ध संस्मरण सुनकर इस काव्य गोष्ठी में सहभागिता कर रहे समस्त यजमान गौरवशाली पूर्व काव्य युग में ध्यानलीन हो गए।काव्य अनुष्ठान को अविरल गतिमान बनाए रखने के लिए पुनःउत्तरदायित्व सौंपा गया जन कवि विराट व्यक्तित्व डॉ.अतुल शर्मा जी को।कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अतुल ने अपने समृद्ध साहित्यिक कोश से विभिन्न विधाओं की कविताएं अपने तेवर में सुनाकर इस पुनीत पर्व को सार्थकता प्रदान की।संचालिका रंजना दीदी का काव्य पाठ अवसर आने पर सम्पूर्ण परिवेश दिव्य गीतों के प्रकाश से आलोकित होने लगा। पूर्ण आहुती हेतु मेरी समिधा में भी सम्मिलित रहीं होली हास्य व्यंग्य सहित कविता जन्मोत्सव से लेकर प्रकृति,पर्वत,झरनों के विभिन्न रंगों की बौछारें।साहित्यिक अनुष्ठान के समापन पर कहानीकार रेखा शर्मा दीदी द्वारा प्रसाद स्वरूप प्रस्तुत ड्राई-फ्रूट्स,मिष्ठान हॉर्लिक्स बर्फी,गरमा गरम करारी पकौड़ी,नमकीन,बिस्कुट व स्वादिष्ट चाय ने अतुल के आवासीय आत्मीय आयोजन को पारम्परिक साहित्यिक गोष्ठी की माला में एक स्वर्ण जड़ित मनका संयोजित कर हमारे लिए इस होली पर्व को अविस्मरणीय बना दिया है।