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हमारे पारंपरिक त्योहारों और प्रकृति संरक्षण की वैज्ञानिक अवधारणा पर जोर

प्रदीप कुमार
द्वारीखाल-पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल। बालसाहित्य संस्थान अल्मोड़ा द्वारा उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद देहरादून के सहयोग से राजकीय इंटर कॉलेज चाक्यूसैण में 4 मार्च से शुरू बच्चों की 5 दिवसीय बाल लेखन कार्यशाला के चौथे दिन बच्चों को विज्ञान व विज्ञान की अवधारणा व वैज्ञानिक सोच की जानकारी दी गई। भारत ज्ञान विज्ञान समिति उत्तराखंड के राज्य कार्यकारिणी सदस्य एवं पौड़ी के जिला समन्वयक एवं राजकीय इंटर कालेज किनसुर के विज्ञान प्रवक्ता महेंद्र सिंह राणा ने कहा कि अमुक नदी या पेड़ के नीचे भूत होता है। इस बात को बगैर सोचे समझे आंख मूंदकर स्वीकार कर लेना अंधविश्वास है।पेड़ के नीचे या नदी पर भूत के बारे में कहां,कौन,कैसे,क्या आदि तर्क वितर्क करके मामले की खोज करना वैज्ञानिक सोच या वैज्ञानिक दृष्टिकोण कहा जाएगा। ‘पहले जानो फिर मानो’ के सिद्धांत के आधार पर किसी भी विषय पर क्या क्यों कैसे जैसे तर्क वितर्क करना विज्ञान हमें सिखाता है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां पीपल के पेड़ को काटना पाप माना गया है। इसके पीछे वैज्ञानिक अवधारणा है कि पीपल का पेड़ हमें सबसे अधिक आक्सीजन देता है। उन्होंने कहा कि हरेला आदि पारंपरिक त्यौहार भी कहीं न कहीं वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित हैं।

राजकीय इंटर कालेज चाक्यूसैण के प्रधानाचार्य जगनमोहन सिंह बिष्ट ने कहा कि हमें कक्षा कक्षा में चुप नही बैठना है। हमें अपने शिक्षक से अपने सवाल पर तर्क वितर्क करना सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में भी बच्चों को सवाल पूछने व उन्हें अभिव्यक्ति का अवसर दिया जाना है। बच्चों ने लुप्त होती पत्र विधा को समझा। सभी बच्चों ने अपने पारिवारिक जनों को पत्र लिखकर पेड़ न काटने व जन्म दिन के अवसर पर पेड़ लगाने की अपील की।आज सभी बच्चों ने बाल लेखन कार्यशाला की रिपोर्ट तैयार की। रिपोर्ट लेखन की जानकारी देते हुए बालप्रहरी संपादक उदय किरौला ने बताया कि हमें रिपोर्ट लिखते समय अंगरेजी के 5 डब्ल्यू का ध्यान रखना होता है।यानी रिपोर्ट में कहां,क्या,कौन,कब और कैसे की जानकारी देनी चाहिए। बालप्रहरी संपादक उदय किरौला,महेंद्र सिंह राणा,सुरेंद्र सिंह रावत,विवेक डबराल,राकेश तिवाड़ी,आबिद अहमद,पंकज सिंह रावत ने बाल कवि सम्मेलन,नुक्कड नाटक व समूह गीत अलग अलग समूहों में बतौर संदर्भदाता बच्चों का मार्गदर्शन किया। आज बच्चों ने गीत नाटिका ‘कुदरत का विज्ञान’ तथा ‘मोबाइल टन टनाटन टन’ की रिहर्सल की। कार्यशाला का समापन 8 मार्च को दिन में 12 बजे होगा। समापन समारोह में बच्चों द्वारा तैयार हस्तलिखित पुस्तकों की प्रदर्शनी लगेगी। नुक्कड़ नाटक ‘कुदरत विज्ञान’ तथा ‘मोबाइल टन टना टन टन’ के साथ ही बच्चे समूह गीत प्रस्तुत करेंगे। इस अवसर पर भारत ज्ञान विज्ञान समिति द्वारा महिला दिवस के अवसर पर प्रकाशित वार्षिक पत्रिका ‘हमारा कांरवा’ का लोकार्पण भी किया जाएगा।

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