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होली के पुनीत सुअवसर पर अपने देवभूमि उत्तराखंड को नशा मुक्त व खुशहाल बनाने का संकल्प लें

प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। गढवाल मन्डलीय नशा उन्मूलन नोडल अधिकारी अखिलेश चन्द्र चमोला ने आम जनमानस से होली के पुनीत सुअवसर नशीले पदार्थों को छोडने की अपील करते हुए कहा कि शास्त्रों में हमारे राज्य को देवभूमि,तपोभूमि,हिमवन्त प्रदेश,के नाम से जाना जाता है।सर्वप्रथम सूर्य भगवान यही से अपनी रश्मियों से सम्पूर्ण जगत को आलोकित एवं अनुप्रणित करते हैं।केदारनाथ,बद्रीनाथ,गंगोत्री,यमुनोत्री,ऋषि केश,हरिद्वार आदि पवित्र धाम देवभूमि की सार्थकता को उजागर करते हैं। कौरव पांडवो को दीक्षा देने वाले महागुरु द्रोणाचार्य ने भी अपनी आध्यात्मिक साधना इसी पवित्र नगरी में रहकर पूरी की। प्राचीन काल से ही उत्तराखंड ऋषि मुनियों की तपस्थली रहा है। इस देवभूमि के कारण भारत वर्ष को जगत गुरु की प्रतिष्ठा मिली। हमें अपने आप पर गौरव होना चाहिए कि हमने इस पवित्र धरती में जन्म लिया। इस का पौराणिक इतिहास व पृष्ठभूमि यज्ञ दर्शाती है कि यहां कभी लोग घरों में ताला नहीं लगाते थे। कोई किसी से नहीं डरता था।सब स्व अनुशासित होकर पराशक्ति से संचालित कार्य करते थे।आज हम सबको होली के पुनीत सुअवसर पर नशा उन्मूलन जन जागरुकता कार्यक्रम करते हुए जीवन में कभी नशीले पदार्थो का सेवन नहीं करेंगे। होली की कहानी से भी हमें सीख लेनी चाहिए। हिरण्यकश्यप अपने जप तप व व्रह्मा की तपस्या करके मृत्युंजय बन जाता है। लेकिन नशीले पदार्थों और आसुरी शक्तियों के साथ आत्मसात करने के कारण अपने आप को भगवान समझने की भूल करने लग जाता है। देवताओं को कष्ट देना,सद्मार्ग पर चलने वालों को परेशान करना उसके जीवन का उद्देश्य बन जाता है। अपने सदमार्गी पुत्र विष्णु उपासक प्रल्हाद को भी मारने के लिए उतारू हो जाता है। अपनी बहिन होलिका,जिसे भगवान द्वारा ऐसा वस्त्र मिला हुआ था जिससे धारण करके अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड सकती थी। लेकिन प्रभु की कृपा से जैसे ही वह अपने भतीजे को गोदी में लेकर अग्नि में कूदती है वह वस्त्र भक्त प्रह्लाद की रक्षा कर लेता है।होलिका जैसी आसुरी शक्ति जलकर नष्ट हो जाती है। शराब व नशीले पदार्थ भी इसी तरह से है,जो पूर्ण रूप से हमारे जीवन को नष्ट-भ्रष्ट कर देते हैं।आओ हम सब मिलकर 13 मार्च होलिका दहन पर नशा मुक्त खुशहाल उत्तराखंड संकल्प लेते हुए यह आवाहन करते हैं-इस धरा के पवित्र सपूतों,जागो जागो।अपने मूलभूत स्वरूप को पहचानो।नशामुक्त खुशहाल उत्तराखंड का चोला पहन। देवभूमि को शीर्ष पर पहुंचाओ।

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