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श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों ने नैनीताल में वादकारियों और युवा अधिवक्ताओं को होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए हाईकोर्ट को शिफ्ट करना अति आवश्यक बताया है। उन्होंने कहा कि वादकारियों और युवा अधिवक्ताओं के लिए नैनीताल में चिकित्सा और कनेक्टिविटी की कमी की असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। हाईकोर्ट ने यह भी उल्लेख किया है कि कोर्ट में 75 प्रतिशत से अधिक मामलों में राज्य सरकार के पक्षकार होने और नैनीताल हाईकोर्ट आने में अधिकारियों,कर्मचारियों के टीए व डीए में होने वाले खर्च को देखते हुए हाईकोर्ट को नैनीताल से राज्य के अन्य किसी स्थान पर शिफ्ट करना आवश्यक है।

मुख्य न्यायाधीश रितू बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल हाई कोर्ट को एक पोर्टल बनाने का निर्देश दिया है। पोर्टल में अधिवक्ताओं व जनसामान्य के इस मामले में सुझाव लिए जाने हैं। इसी क्रम में श्रीनगर गढ़वाल के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष और कई राष्ट्रीय संगठनों की अध्यक्षता संभाल चुके मोहनलाल जैन ने श्रीनगर गढ़वाल में उच्च न्यायालय की स्थापना की पैरवी करते हुए पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि नैनीताल के बाद श्रीनगर गढ़वाल ही उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के लिए उचित महत्वपूर्ण पर्वतीय स्थान है। उन्होंने बताया कि श्रीनगर गढ़वाल में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान उत्तराखंड,केंद्रीय विश्वविद्यालय,नगर निगम, मेडिकल कॉलेज,और तीन किलोमीटर के अंदर अंदर बेस एवं संयुक्त चिकित्सालय उपलब्ध हैं,जो कि उच्च न्यायालय की शर्तों को पूरा करते हैं। उन्होंने कहा कि जहां अन्य नगर निगम की आबादी एक लाख से ऊपर है वही श्रीनगर गढ़वाल का नगर निगम ही एकमात्र ऐसा है जिसकी आबादी पचास हजार से कम है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों पर सवाल उठाते हुए पूछा की उच्च न्यायालय के लिए श्रीनगर गढ़वाल की पैरवी ना किया जाना,समझ से परे है। उत्तराखंड हाईकोर्ट की स्थानांतरण योजना के चलते,अगर उच्च न्यायालय ऋषिकेश में स्थानांतरित होता है,तो तकरीबन एक हजार परिवारों को नैनीताल से पलायन करना पड़ सकता है। उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल बलूनी को याद दिलाते हुए कहा कि वे रिवर्स पलायन का लक्ष्य रखते हैं, लेकिन उन्हें पहले नैनीताल से इन एक हजार परिवारों का पलायन रोकना चाहिए। श्रीनगर गढ़वाल जो पुरातन काल से ही व्यापार और सत्ता का केंद्र बिंदु रहा है,उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के लिए उचित स्थान हो सकता है। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय को पर्वतीय क्षेत्र में ही रहना चाहिए,हालांकि वे ऋषिकेश का विरोध नहीं करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि श्रीनगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत बिल्लकेदार,उफल्ड़ा,क्वीसू-सौडू,सरणा,मलेथा,चमदार,आदि अन्य स्थानों के लिए प्रशासन अपनी स्वीकृति दे सकता है। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाते रहेंगे और इसे जन आंदोलन का रूप दे सकते हैं।
प्रेस वार्ता में श्रीनगर के सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने अपने विचार व्यक्त किए जिसमें एडवोकेट महिन्द्र पाल सिंह सुमन,एडवोकेट भूपेंद्र सिंह पुंडीर,एडवोकेट आर.पी.थपलियाल,एडवोकेट सुधीर उनियाल,एडवोकेट शशी चमोली,एडवोकेट सुरेंद्र सिंह रौथाण, एडवोकेट आनंद सिंह बुटोला,राजीव बिश्नोई श्री राम ज्वेलर्स,जिला व्यापार सभा के अध्यक्ष वासुदेव कंडारी,श्रीनगर व्यापार सभा के अध्यक्ष दिनेश असवाल,डॉ.अरविंद दरमोडा़,पी.बी.डोभाल, कुशलानाथं,एस.पी.घिल्डियाल, सरिता आर्य आदि लोग उपस्थित थे।

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