वनाग्नि की घटनाओं को रोकने के लिए जन सहभागिता आवश्यक: डीएफओ
प्रदीप कुमार
पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल।वनाग्नि की रोकथाम एवं इससे होने वाले दुष्परिणामों से ग्रामीणों को जागरूक करने के उद्देश्य से वन विभाग व अग्निशमन विभाग द्वारा पौड़ी,श्रीनगर व पौड़ी-खिर्सू मोटर मार्ग के मध्यवर्ती अति संवेदनशील क्षेत्रों में लगभग 20 गाँवों में ग्रामवासियों के सहयोग से आड़ा दिवस का विशेष जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया।
डीएफओ सिविल एवं सोयम पवन नेगी ने बताया कि आड़ा दिवस शीतलाखेत मॉडल की तर्ज पर आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य जनसहभागिता के माध्यम से गढ़वाल क्षेत्र में वनाग्नि की घटनाओं में कमी लाना है। इस पहल के अंतर्गत ग्रामीणों को वनाग्नि की रोकथाम,उसके कारणों एवं उससे होने वाली क्षति की जानकारी दी गई। साथ ही सभी प्रतिभागियों को वनाग्नि रोकने की शपथ भी दिलाई गई। उन्होंने ग्रामीणों कहा कि विशेष परिस्थिति में आड़ा (सूखी पत्तियों आदि) केवल अपनी निगरानी में ही जलाएं। इसके साथ ही घरों व वनों के समीप आड़ा न जलाने के लिए भी ग्रामीणों को जागरूक किया गया। डीएफओ ने कहा कि वन संरक्षण एवं आग की घटनाओं की रोकथाम केवल सरकारी प्रयासों से संभव नहीं है,बल्कि इसमें प्रत्येक नागरिक की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है। वन विभाग भविष्य में भी इस प्रकार के जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करता रहेगा,जिससे प्राकृतिक धरोहरों की रक्षा की जा सके।डीएफओ ने वहां उपस्थित ग्रामीणों को कहा कि जंगलों को आग से बचाने के लिए अन्य लोगों को भी जागरूक करें।
इस दौरान उन्होंने सभी नागरिकों से वन संरक्षण और वनाग्नि रोकथाम में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने यह भी कहा कि आम जनमानस जंगलों को आग से बचाने के लिए वन विभाग का सहयोग करें। इस दौरान ग्रामीणों के खेतों में एकत्रित आड़ा को भी जलाया गया।इस मौके पर एसडीओ सिविल एवं सोयम राखी जुयाल,एसडीओ गढ़वाल आयशा बिष्ट,रेंजर दिनेश चंद्र नौटियाल,रेंजर भपेंद्र रावत,अग्निशमन निरीक्षक सुनील तिवारी सहित वन पंचायत के सरपंचगण तथा संबंधित क्षेत्र के स्थानीय जनप्रतिनिधि एवं ग्रामीण नागरिक उपस्थित रहे।