प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार जशवंत सिंह कटोक्ष पदमश्री पुरस्कार से अलंकृत होने के बाद वापस गांव आने पर ग्रामीणों ने भव्य सम्मान समारोह एवं भोज का आयोजन किया जिसमे तमाम क्षेत्र के समाजिक सरोकारों से तालूकात रखने वाले बुद्धि जीवियों ने बढ़-चढ़ का समारोह मे भाग लिया कार्यक्रम मे पहुंचे श्रीनगर नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष एवं हिमालय साहित्य कला श्रीनगर के फाउंडर कृष्णानंद मैठाणी ने कहा कि जशवंत ने उत्तराखंड के उन तमाम संस्कृति,संस्कारों,बोली,भाषा जब झज्जर होती धरोहरों पर गहन शोध करके उन्हे लीपिबद्ध किया जिसको आज विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थानों मे पढ़ाया जाता है मैठाणी ने कहा कि जशवंत चाहते तो वह किसी नगर व शहर मे रहकर अध्ययन कर सकते थे लेकिन उन्होंने तमाम सुख-सुविधाओं को दरकिनार करते हुऐ गांव की बातो को गांव मे बैठकर लिखी जो एक प्रेरणादायक है इसीलिये उनको माटी के लाल से जाना जाता है। पदमश्री जशवंत सिंह की मुख्य पुस्तकों मे मद्य हिमालय की कला,उत्तराखंड का नवीन इतिहास,सिंग की ग्रंथावली,भजनसिंह का सिंहनाद सहित एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित की चुकी हैं
इस संबंध मे पदमश्री से सम्मानित जशवंत सिंह ने कहा कि एक दर्जन पुस्तकों के लेखन के बाद संस्कृति पर आधारित,यशोधरा एवं उत्तराखंड की सैन्य पृष्ठभूमि जो वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर आधारित है उसका प्रकाशित भी शीघ्र किया जायेगा। कार्यक्रम मौजूद ऐकश्वर पोटा जिला पंचायत सदस्य सीमा सजवाण ने कहा कि हम स्वयं को भाग्यशाली समझते हैं जो कटोक्ष जैसी शख्शियतों के सानिध्य रहकर हम प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जिन्होंने अपनी लेखनी के माध्यम से गढ़वाल,उत्तराखंड ही नही पूरे देश मे इस माटी का मान बढाया है इस मौके पर उम्मेद सिंह मेहरा,प्रसिद्ध राज्य आंदोलनकारी अनिल स्वामी, उमा घिल्डियाल सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।
