Spread the love

प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल। विश्व पर्यावरण दिवस पर उत्तराखंड खान-पान अभियान के संयोजक जय प्रकाश कृथ्वाल ने सभी उत्तराखंड वासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिमालयी राज्यों की जलवायु परिवर्तन बहुत तेजी से बढ़ रही है। हमारे देश मे किसी भी नदी का जल पीने और आचमन करने लायक नहीं बचा है। मंदाकिनी और अलकनंदा नदी का नैसर्गिक रूप बिगाड़कर इसकी पवित्रता का संकट है ।अपने स्वार्थ के लिए मानव मंदाकिनी से भागीरथी,और गंगोत्री से गंगा सागर तक मां गंगा पर कहर ढा रहा है। गंगा मैली हो रही है। पेड़ों का कटान और जंगलों का धूं धूं कर जलना,हमारा पर्यावरण कैसे सुरक्षित रह सकता है। हिमालय मे जलवायु परिवर्तन की रोक थाम और नियंत्रण के लिए तालाबों,जल संरचनाओं चाल खाल का निर्माण गांव स्तर पर सरकार के सहयोग से हो। पूज्य बिहारी लाल ने कहा था-धार-धार,गाड़-गाड़,पेड़ लगाओ,चाल बनाओ। वर्षा की बूंद-बूंद को,चाल संजोने का जाल बिछाओ। धारा की नमी बढ़ाओ,जलस्रोत बचाओ।भू क्षरण थमाओ,धारा मे हरितिमा का साज सजाओ। साथ ही-धार ऐंच पाणि,ढाल पर डाला,बिजली बणावा,खाला-खाला हर खाला मे हो एक जीवनशाला”। ताकि हमारे पुराने जलस्रोत फिर से जीवित(रिड्यूस ) हो सके। अधिक से अधिक पेड़ लगायें प्रत्येक मानव अपनी जिम्मेदारी समझें ताकि हमारे जल जंगल और ज़मीन बचे रहे,और आने वाली पीढ़ी के लिए कुछ,जल और वायु बचा सके। जय प्रकाश कृथ्वाल “उत्तराखण्ड ख़ान-पान एक अभियान“ ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp