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प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल। राजकीय इन्टर काॅलेज सुमाड़ी विकास खण्ड खिर्सू जनपद पौड़ी गढ़वाल मे हिन्दी अध्यापक के पद पर कार्यरत अखिलेश चन्द्र चमोला सुमित्रानंदन पन्त-2024 से सम्मानित हुए। चमोला को यह सम्मान केशोराम मैंमोरियल सोसाइटीज सहारनपुर उत्तर प्रदेश द्वारा चित्त पावन भारत पत्रिका के तत्वाधान के आयोजित कार्यक्रम में दिया। इस राष्ट्रीय आयोजित कार्यक्रम में साहित्य सृजन समाज सेवा तथा अपने अध्यापित विषय में बेहतर परीक्षा परिमाण देने वाले शिक्षकों को सम्मानित किया गया।इस भव्य आयोजित कार्यक्रम में विश्व हिन्दी शोध संवर्द्धन अकादमी वाराणसी के शोध निदेशक हीरालाल मिश्र मधुकर तथा तत्कालीन मुख्यमन्त्री उत्तर प्रदेश से सम्मानित बृजेश शर्मा ने शिक्षक अखिलेश चन्द्र चमोला को सम्मानित करते हुए कहा कि बेहतर शैक्षिक कार्य करने के साथ-साथ धर्म,ज्योतिष,पर्यावरण,अध्यात्म नशा उन्मूलन,ग्रामीण आन्चलिक विद्यालय में अध्ययन रत छात्र छात्रा ओं को मन्च देकर सम्मानित करना अपने आप में महत्वपूर्ण व सराहनीय उपलब्धि को दर्शाता है। चमोला लगातार इस तरह के प्रेरणा दायिनी कार्य कर रहे हैं। आज अधिकांश युवा इनके सफल मार्ग दर्शन से नशे की लत छोड़कर अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हो रहे हैं। भारतीय संस्कृति के बीज रोपित करके भावी पीढ़ी के लिए आदर्श समाज का नव निर्माण करना आदर्श शिक्षक के दायित्व को दर्शाता है।बताते चलें कि अखिलेश चन्द्र चमोला जनपद रुद्रप्रयाग के ग्राम कौशलपुर के मूल निवासी हैं। चमोला क्ई पत्रिकायों का सम्पादन का कार्य भी कर चुके हैं। कुमाऊं द्वारा प्रकाशित डमरु पत्रिका तथा नगर पालिका परिषद श्रीनगर गढ़वाल द्वारा प्रकाशित स्मारिका में भी क्ई वर्षों तक सम्पादक की भूमिका का भी निर्वहन कर चुके हैं। नैतिक बोध कथायें “शैक्षिक नवाचार एवं क्रियात्मक शोध” भारतीय संस्कृति तथा नैतिक ऊर्जा के आयाम नामक पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल द्वारा कला निष्णात में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर इन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित भी किया जा चुका है। महामहिम राज्यपाल पुरस्कार “मुख्यमन्त्री सम्मान” शिक्षा शिल्यी सम्मान ”शिक्षा रत्न” अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक सम्मान से सम्मानित होने के साथ ही 500 से भी अधिक राष्ट्रीय सम्मानोपाधियों से अंलकृत होने का गौरव प्राप्त कर चुके हैं। दूसरी ओर हिन्दी प्रचारिणी सभा लोक संचेतना फाउन्डेशन भारत द्वारा हिन्दी साहित्य में इनके विशेष योगदान को देखते हुए इन्हें उत्तराखण्ड के राष्ट्रीय संयोजक की जिम्मेदारी दी गई है।

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