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प्रदीप कुमार देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। केंद्रीय संस्कृत विश्वद्यालय श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में अध्ययनरत विद्यार्थियों का भले ही इन दिनों ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहा है,लेकिन बाहरी राज्यों से आये विद्यार्थी यहां न्याय सिद्धांतों की बारीकियां सीख रहे हैं। न्यायशास्त्र के एक माह के प्रशिक्षण वर्ग में गुरुकुल पद्धति के तहत विद्यार्थियों को विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए विषय विशेषज्ञ ज्ञान दे रहे हैं। यह छात्र राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता परीक्षा करने के बाद इस वर्ग में भागीदार बने हैं। केंद्रीय संस्कृत विश्वद्यालय संस्कृत और संस्कृत शास्त्रों के संरक्षण और प्रचार-प्रसारा में वर्षों से क्रियाशील है। कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी ने विश्वविद्यालय में शास्त्र रक्षा अभियान चलाया हुआ है। इसके अंतर्गत इस वर्ष विश्वविद्यालय के 12 में से तीन परिसरों में एक-एक महीने के विशेष शिविर चलाए जा रहे हैं। जयपुर परिसर में व्याकरण,राजीव गांधी परिसर,शृंगेरी में अद्वैत वेदांत और श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में न्याय शास्त्र का विशेष ज्ञान दिया जा रहा है। अखिल भारतीय शास्त्र प्रशिक्षण वर्ग के राष्ट्रीय संयोजक प्रो.कुलदीप शर्मा ने बताया कि तीनों परिसरों में आयोजित किये जा रहे वर्गों में भागीदारी के लिए अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा और साक्षात्कार का आयोजन किया गया था। प्रो.शर्मा ने बताया कि इन वर्गों का उद्देश्य अगली पीढ़ी तक हमारे शास्त्रीय ज्ञान को हस्तांतरित करना है। उन्होंने बताया कि भविष्य में हर परिसर में ऐसे विभिन्न शास्त्र प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किये जाएंगे।
श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के प्रशिक्षण वर्ग संयोजक डॉ.सच्चिदानंद स्नेही ने बताया कि यहां उदयनाचार्य के ग्रंथ ’न्यायकुसुमांजलि’ का अध्ययन कराया जा रहा है। अध्ययन कराने वाले विषय विशेषज्ञों में महामहोपाध्याय देवीदत्त पाटिल,संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के न्याय विभाग के सहायक आचार्य कुंज बिहारी,केंद्रीय संस्कृत विवि,शृंगेरी परिसर के श्याम सुंदर,राघवेंद्र उर्ली,राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति के आचार्य ओजीपी कल्याण शास्त्री, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो.रामपूजन पांडेय तथा कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के.ई. देवनाथन आदि शामिल हैं। श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने बताया कि इस वर्ग में केरल,कर्नाटक,मध्यप्रदेश,उड़ीसा आदि राज्यों के 36 छात्र-छात्राएं अध्ययन कर रहे हैं। 19 जून तक चलने वाला यह कार्यक्रम 20 मई को आरंभ हुआ था। सभी प्रतिभागियों और विशेषज्ञों के आवास और भोजन की सुविधा विश्वविद्यालय की ओर से परिसर में ही की गयी है।

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