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प्रदीप कुमार
ऊखीमठ/श्रीनगर गढ़वाल। द्वितीय केदार मदमहेश्वर यात्रा के आधार शिविर बनातोली में मौर गंगा पर बना लकड़ी के अस्थायी पुल के नीचे भू कटाव होने से पुल को खतरा बना हुआ है। भू कटाव के कारण यदि लकड़ी का अस्थायी पुल मौर गंगा की तेज धाराओं में समा जाता है तो मदमहेश्वर धाम की यात्रा बाधित होने के साथ यात्रा पड़ावों पर व्यवसाय कर रहे ग्रामीणों के सम्मुख मुसीबतों का पहाड़ खडा़ हो सकता है। 11 माह का समय व्यतीत होने के बाद भी बनातोली में स्थायी पुल का निर्माण न होने से क्षेत्रीय जनता,व्यापारियों व तीर्थ पुरोहित समाज में शासन-प्रशासन के प्रति आक्रोश बना हुआ है। क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार लक्ष्मण सिंह नेगी बता रहे हैं कि विगत वर्ष 14 अगस्त की सुबह को मौर गंगा के उफान में आने के कारण 70 के दशक में बना लोहे का पुल टूटकर मौर गंगा की तेज धाराओं में समा गया था। लोहे के पुल के नदी के वेग में समाने के कारण सैकड़ों तीर्थ यात्री मदमहेश्वर धाम में फस गये थे। शासन-प्रशासन की पहल पर मदमहेश्वर धाम में फसे सैकड़ों तीर्थ यात्रियों का हेलीकॉप्टर के जरिये रासी गांव में रेक्स्यू किया गया था। लोक निर्माण विभाग द्वारा तीर्थ यात्रियों व ग्रामीणों की आवाजाही हेतु मौर गंगा पर लकड़ी का अस्थायी पुल बनाया गया था मगर इन दिनों हिमालयी क्षेत्रों में मूसलाधार बारिश होने तथा मौर गंगा का जल स्तर बढ़ने से अस्थायी पुल खतरे की जद में आ गया है। जानकारी देते हुए प्रधान बीर सिंह पंवार ने बताया कि हिमालयी क्षेत्रों में क्षमता से अधिक बारिश होने के कारण मधु गंगा व मौर गंगा के जल स्तर में निरन्तर वृद्धि हो रही है तथा जल स्तर में और अधिक वृद्धि होती है तो मौर गंगा पर बने लडकी के अस्थायी पुल के निचले भू कटाव होने का खतरा बन सकता है और यदि अस्थायी पुल के निचले हिस्से भी कटाव होता है तो अस्थायी पुल भी मौर गंगा की तेज धाराओं में समा सकता है तथा फिर हालात पिछले वर्ष की तरह हो सकतें है। उन्होंने बताया ग्रामीणों द्वारा लोक निर्माण विभाग से ट्राली लगाने की मांग विगत 11 महीनों से की जा रही है मगर ग्रामीणों को कोरे आश्वासन ही मिल रहें हैं।

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