प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल। अजीम प्रेमजी फाउंडेशन शाखा श्रीनगर गढ़वाल द्वारा एक बार पुनः लंबे अंतराल के बाद पढ़े हुए को साझा करने के सत्रों की श्रृंखला ‘किताबों के पन्ने’ को प्रारंभ किया गया। आयोजन में कुल दो पुस्तकों का सार-संक्षेप और उनके शैक्षिक निहितार्थों पर विस्तार से चर्चा की गयी। प्रथम चरण में शिक्षक स्व.हेमराज भट्ट के संस्मरण ‘एक अध्यापक की डायरी के कुछ पन्ने’ जिसमें कक्षा शिक्षण के साथ विद्यालय की समस्याओं और उनके समाधान के प्रयासों को वर्णित किया गया है पर शिक्षिका कुसुम काला ने विचार रखे।कुसुम काला ने बताया कि डायरी स्वरूप की यह पुस्तक विद्यालयी प्राथमिक शिक्षण में किस प्रकार से सदुपयोगी हो सकती है। डायरी में उल्लेखित कक्षा शिक्षण से संबंधित समस्याओं,विभागीय प्रशिक्षण के सकारात्मक-नकारात्मक प्रभावों,सामाजिक आर्थिक परिवेश के ताने बाने की जटिलताओं,दुर्गम पर्वतीय क्षेत्रों में संसाधनों की अनुपलब्धता आदि बिंदुओं पर लेखक की बेबाक टिप्पणियों को कुसुम काला ने रेखांकित किया। द्वितीय सत्र में प्रो.एस.एस.रावत द्वारा नीरज नैथानी द्वारा लिखित पुस्तक ‘हिमालय में पथारोहण’ पर विश्लेषणात्मक व्याख्यान दिया गया। प्रो.एस.एस.रावत ने पथारोहण संस्मरण में लेखक द्वारा वर्णित हिमालयी ग्रामीण जीवन की लोक संस्कृति,लोक परंपरा,लोक प्रथाओं,तीर्थ केंद्रों,धार्मिक स्थलों की मान्यताओं,आस्था विश्वास व परम्परा के साथ ही भौगोलिक,भूगर्भीय व पर्यटन पर्यावरणीय चिंताओं के विभिन्न पक्षों का तार्किक महत्व प्रस्तुत किया। प्रोफेसर रावत ने यात्रा संस्मरणों के अभिलेखीकरण की प्रक्रिया के माध्यम से पाठक को उपलब्ध होने वाली दस्तावेजी जानकारियों का उल्लेख किया। परिचर्चा सत्र में वरिष्ठ नागरिक व पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष कृष्णा नंद मैठाणी ने उत्तराखंड राज्य के सरकारी विद्यालयों में वर्तमान विषम परिस्थितियों में निरंतर हो रहे ह्रास पर चिंता व्यक्त की। शिक्षक व साहित्यिकार जय कृष्ण पैन्यूली ने स्वयं के शिक्षण काल में अर्जित अनुभवों को साझा किया। पुस्तक परिचर्चा गोष्ठी में विद्वान प्रो.रामा नंद गैरोला,वरिष्ठ रंगकर्मी विमल बहुगुणा,आर.पी.कपर्वाण,शम्भू प्रसाद भट्ट स्नेहिल,रश्मि गौड़,किशन लाल तिवारी,मुकेश काला,शिव सिंह नेगी,देवेन्द्र उनियाल,अजय चौधरी,कमलेश जोशी,डॉ.प्रदीप अणथ्वाल,अजय सेमवाल,डॉ.अजय पाल सिंह नेगी,श्रीकृष्ण उनियाल,डॉ.राजेश जैन,इंदू पंवार आदि प्रतिभागियों ने अपनी गरिमापूर्ण उपस्थिति से शैक्षणिक-साहित्यिक आयोजन को सार्थकता प्रदान की। उपस्थित समस्त प्रतिभागियों ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन श्रीनगर गढ़वाल द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में इस प्रकार की गतिविधियों को संचालित किए जाने पर मुक्त कंठ से प्रशंसा की।