श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड सरकार कार्यदायी निर्माण कंपनी और ख़राब डिजाइनर को ब्लैक लिस्ट करें। श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रहे इस विशाल कंक्रीट फ्रेम और अनियोजित निर्माण से इतना बड़ा पूल चढ़ाया जा रहा था की आम लोग शुरू से ही संदेह व्यक्त कर रहे थे कि ये इस मिट्टी में टिक भी पाएगा? स्थानीय लोगों कि समझ पहाड़ों के बारे में उनकी जानकारी को दरकिनारे करके जिस तरीके से पहाड़ों में यह विकास मॉडल खड़ा किया जा रहा है यह विनाशकारी ही है। सिग्नेचर पुल एक तरीके का आधुनिक ब्रिज है और दिखने में भी सुंदर होता है,जैसे कोलकाता का विद्यासागर ब्रिज या वजीराबाद दिल्ली का सिग्नेचर ब्रिज। बिना किसी व्यवस्थित अध्ययन के पहाड़ों में इस तरह का ब्रिज निर्माण उचित नहीं है। जहां ब्रिज के लिए दोनों तरफ से बड़ी,चौड़ी जगह होनी चाहिए उसके उलट इस नरकोटा ब्रिज का आधार इतनी संकरी जगह पर खड़ा किया जा रहा था कि कोई भी देख कर स्वाभाविक ही बता सकता था कि यह ब्रिज ज्यादा टिकेगा नहीं। ऐसी ही एक दुर्घटना जुलाई 2022 में भी हुई थी जिसमें 2 मजदूर मारे गए थे व 5 घायल हुए थे। जिस पर रुद्रप्रयाग डीएम ने एक जांच कमेटी बनाई थी,उस रिपोर्ट का क्या हुआ,कोई नहीं जानता। पुरानी रिपोर्ट आई नहीं,नया हादसा हो गया। अब फिर से एक नई रिपोर्ट और इसी तरह यह चलता रहेगा.मुख्य बात यह है इस तरह की घटनाएं कैसी हो जाती हैं। बताया जा रहा है कि ब्रिज बनाने वाली संस्था RCC कंपनी है जो मेरठ की है। सरकार द्वारा बड़े निर्माण कार्यों में उचित समझ और योजना की अनदेखी करने से ही इस तरह की घटनाएं होती है और यह खेदजनक है कि सरकार बार बार इसे दोहराकर पब्लिक के पैसे को बर्बाद करती है जबकी जिस कंपनी के कारण नुकसान हुआ है उसके द्वारा भरपाई होनी चाहिए। अतः SUCI (कम्युनिस्ट) पार्टी मांग करती है कि इस कार्यदायी संस्था RCC कंपनी व फाॅल्टी डिज़ाइनर दोनों पर ही कड़ी कार्यवाही की जाए ताकि भविष्य में पुनः इस तरीके का बचकाना खेल व पब्लिक के पैसे का दुरुपयोग ना हो। डॉ.मुकेश सेमवाल संयोजक,एसयूसीआई (कम्युनिस्ट)उत्तराखंड