श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी समाज सेवी,ईमानदार संघर्षशील समर्पित,सरल मितव्ययी,साधारण जीवन जीने वाले मदन मोहन नौटियाल इस सांसारिक जीवन से हुएं विदा उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी के देहावसान एक युग का हुआ अंत। खंडहा श्रीनगर के ऊपर स्थित गिरगांव निवासी मदन मोहन नौटियाल आटोमोबाइल इंजीनियर थे। श्रीनगर में सबसे पहला व सबसे आधुनिक मोटर वर्कशॉप शुरू करने वाले मदन मोहन नौटियाल का वर्कशॉप वर्षों तक सुर्खियों में रहा। पहाड़ के प्रति उनका स्वाभाविक मनोभाव वहां की कठिन परिस्थितियों से युक्त था। पृथक राज्य आंदोलन से वे तन-मन-धन से जुड़ गये। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.देवीदत्त पंत के उत्तराखंड क्रांति दल के सरंक्षक रहते हुए,उन्होंने राज्य का गहन अध्ययन भ्रमण किया। उक्रांद के द्वाराहाट से विपिन त्रिपाठी तथा गढ़वाल विश्वविद्यालय के तत्कालीन अध्यक्ष शंकर काला (दोनों तत्कालीन उक्रांद के केन्द्रीय सचिवों) द्वारा आयोजित उक्रांद का “श्रीनगर महासम्मेलन” उस वक्त की बहुत बड़ी राजनीतिक घटना थी जिसके प्रबंधन का सारा श्रेय मदन मोहन नौटियाल को जाता है। उन्होंने पृथक राज्य आंदोलन को हर प्रकार तन मन धन से समर्थन दिया और इसमें इतना रम गये कि परिवार की ओर ध्यान नहीं दिया। जिसके कारण उनके शानदार व्यवसाय को भारी क्षति भी हुई पर उनपर पृथक राज्य का भाव इतना हावी था कि उन्होंने परिवार व्यवसाय की चिंता ही नहीं की। उनका मानना था कि मेरे बच्चे व पत्नी की तरह ही पहाड़ के अधिकांश परिवार कष्ट में हैं सभी की चिंता करनी ही होगी,हम जरूर कामयाब होंगे। पृथक् राज्य बनने के बाद उन्होंने न तो किसी से कोई मांग की,न ही उन्हें कुछ मिला,न ही किसी ने कुछ दिया बाद में उनका व्यवसाय उनके पुत्रों ने संभाला,पृथक् राज्य बनने से वे खुश थे।
उन जैसा समर्पित संघर्षशील ईमानदार व्यक्तित्व पृथक् उत्तराखंड राज्य निर्माण के पुरोधाओं में सूरजकी तरह चमकते रहेंगे। राज्य आंदोलनकारी मदन मोहन नौटियाल को भावपूर्ण श्रद्धांजलि शोक संवेदना व्यक्त करने वालों में गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी,उत्तराखंड सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ.धन सिंह रावत,भारतीय जनता पार्टी पौड़ी की जिला अध्यक्ष सुषमा रावत,टिहरी के विधायक किशोर उपाध्याय,पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष संपत सिंह रावत,जिला मीडिया प्रभारी गणेश भट्ट ने गहरी शोक संवेदना व्यक्ति की है। टिहरी विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के पुरोधा मदन मोहन नौटियाल के निधन से उत्तराखंड ने एक मूर्धन्य शुभ चिंतक खो दिया है वे निस्वार्थ भाव से राज्य के सरोकारों के प्रति समर्पित रहे,कई बार आंदोलन के दौरान पुलिस बर्बरता के शिकार भी हुए,उनकी बड़ी इच्छा थी कि राज्य आंदोलन से संबंधित एक संग्रहालय बनाया जाता तो आंदोलन की स्मृतियां आने वाली पीढ़ियों के लिए पथ प्रदर्शन करने का कार्य करती,संग्रहालय की स्थापना ही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी
