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प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। अनूठी परम्परा ओं की वाहक भारतीय संस्कृति में हर पर्व त्योहार की अद्भुत मान्यता है। इन सभी त्योहारों का भी शास्त्रीय पद्वति के अनुसार अपना अपना महत्व है। रक्षाबंधन भाई के प्रति बहिन के असीम स्नेह और बहिन के प्रति भाई के कर्तव्य को उजागर करने वाला त्योहार है। यह त्योहार भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को मनाये जाने वाले इस त्योहार में बहिन भाई की कलायी पर रक्षा नसूत्र बांधती है और भाई बहिन को आजीवन रक्षा का वचन देता है। रक्षाबंधन के विषय में कहीं कथाओं का विवरण मिलता है। मान्यता है कि शिशुपाल वध के समय कृष्ण की तर्जनी में चोट आ गई थी। द्रौपदी ने खून रोकने के लिए अपनी साडी फाड़कर चीर उनकी अंगुली में लगा दी। इस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। श्री कृष्ण ने चीरहरण के समय उनकी लाज बचाकर यह कर्ज चुकाया था। कहा जाता है कि सिकंदर की पत्नी ने अपने पति के शत्रु पुरू को राखी बान्धकर अपना भाई बनाया था और युद्ध के समय सिकंदर को न मारने का वचन लिया था। पुरू ने युद्ध के दौरान हाथ में बन्धी राखी का और अपनी बहिन को दिये हुए बचन का सम्मान करते हुए सिकंदर को जीवन दान दिया था। रक्षाबंधन के विषय में एक अन्य कथा भी प्रचलित है’ एक बार राक्षसों और देवताओ में 12 वर्षौ तक भीषण युद्ध हुआ। इसमें देवताओं के राजा इंद्र बुरी तरह पराजित हुए और तब गुरू बृहस्पति के कहने पर उन्होने श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को ब्राहमणों के हाथो से रक्षा सूत्र बांधा तो उन्हे विजय प्राप्त हुई और तब से निरन्तर यह त्योहार मनाया जाता है। रक्षाबंधन की पावनता से यमलोक भी अक्षूता नही है। इस दिन मृत्यु के देवता यम को उनकी बहन यमुना ने राखी बांधी और अमर होने का वरदान मांगा। यम ने इस पर्व के विषय में कहा जो भाई अपनी बहिन से राखी बन्ध वायेगा वह लम्बी उम्र जीयेगा। उसे कष्टों से छुटकारा मिलेगा। शुभ मूहुर्त इस वर्ष रक्षाबंधन पर कई तरह के अद्भुत व प्रभाव कारी संयोग बन रहे हैं। पूर्णिमा तिथि 3 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर रात्रि 11 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार 19 अगस्त को रक्षाबंधन मनाया जायेगा। इस दिन भद्रा भी है। भद्रा सुबह 5 बजकर 53 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 32 मिनट तक है। इस कारण रक्षा सूत्र धारण करने में भाईयो को प्रतिक्षा कर नी पडेगी। इस पर्व पर कई तरह के शुभ योग भी बन रहे हैं। स्वार्थ सिद्वि योग रवि योग धनिष्ठा नक्षत्र समेत कई शुभ प्रभाव कारी योगों का निर्माण हो रहा है। रक्षाबंधन का सही समय 1 बजकर 35 मिनट से लेकर 4 बजकर 20 मिनट तक राखी बांधने का शुभ मूहुर्त है। लेखक–अखिलेश चन्द्र चमोला कला निष्णात- स्वर्ण पदक प्राप्त के साथ बिभिन्न राष्ट्रीय सम्मानो पाधियों से सम्मानित।

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