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प्रदीप कुमार
देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। देवप्रयाग के नृसिंहाचल पर्वत को श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर पेड़ों से आच्छादित करेगा। इस अभियान की शुरुआत निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम ने रविवार को की। पहले दिन लगभग राष्ट्रीय सेवा योजना के लगभग सौ छात्रों ने इस पहाड़ की यात्रा कर वहां आम,आंवला और जामुन आदि के पौधे लगाये। परिसर के निकट खेड़ा गांव और भुवनेश्वरी देवी मंदिर परिसर में भी पौधे लगाये गये। पर्यावरण संरक्षण और आग की बढ़ती घटनाओं के दृष्टिगत यह निर्णय लिया गया।

केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय का श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर देवप्रयाग के एक छोर पर नृसिंहाचल पहाड़ी की तलहटी पर स्थापित है। इस पर्वत पर छोटी कांटेदार छाड़ियां हैं,जो बारिश,छाया,लकड़ी इत्यादि के लिए अनुपयोगी हैं। इस बार यहां के अनेक छोटे पौधे आग की भेंट चढ़ गये थे। इसके चलते श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर प्रशासन ने पर्यावरण की दृष्टि से इस पहाड़ी को समृद्ध बनाने का निर्णय लिया है। निदेशक के मार्गदर्शन में छात्रों ने यहां रविवार को पौधरोपण अभियान का शुभारंभ किया। प्रातः आठ बजे लगभग सौ छात्र लगभग चार किलोमीटर की चढ़ाई तय कर नृसिंह मंदिर में पहुंचे और दर्शन किये। मंदिर के निकटवर्ती स्थानों पर छात्रों ने आम,आंवला और जामुन इत्यादि के पौधे लगाये। वापस आते समय खेड़ा गांव में भी बच्चों ने पौधे लगाये। गांव में ही छात्रों ने परिसर की ओर से ले जाया गया भोजन किया। खेड़ा गांव के निकट भुवनेश्वरी मंदिर परिसर में भी पौधरोपण किया गया। गांव वालों ने निदेशक समेत अध्यापकों और बच्चों का धन्यवाद किया। योग अध्यापक डॉ.धनेश पी.वी तथा ज्योतिष प्राध्यापक रजत गौतम क्षेत्री ने बच्चों का मार्गदर्शन किया। अभियान में सत्यम झा,आयुष,कशिश भट्ट,ममता,करुण शर्मा,साहिल शर्मा,रोहित मिश्रा,चिराग आदि छात्र शामिल थे। इस मौके पर निदेशक प्रो.सुब्रह्मण्यम ने बताया कि अपने निकटवर्ती क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा करना परिसर का दायित्व है। इसके तहत नृसिंहाचल पर्वत को हरा-भरा बनाने का संकल्प लिया गया है। यदि इस पहाड़ी पर हरे-भरे वृक्ष होंगे तो आग की घटना विकराल रूप धारण नहीं कर पाएगी। इस वर्ष भीषण आग लगने से इस पहाड़ी से काफी मात्रा में वनसंपदा नष्ट हो गयी थी। आग हमारे परिसर में तक प्रवेश कर चुकी थी। घायल और व्याकुल वन्य जीव कई दिन तक परिसर के आसपास प्राण रक्षा के लिए विचरते रहे। प्रो.सुब्रह्मण्यम ने कहा कि इस घटना को केंद्र में रखकर परिसर ने आसपास के क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया। छात्र परिसर के निकटवर्ती क्षेत्र में हर वर्ष पौधे लगाएंगे। अभी तक परिसर में लगभग 500 पौधे लगाये जा चुके हैं। इनमें फलदार और छायादार पौधे शामिल हैं।

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