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शिक्षक दिवस के पुनीत सुअवसर पर अखिलेश चन्द्र चमोला हुए उत्कृष्ठ शिक्षक सम्मान से सम्मानित

प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। शिक्षक को समाज का दर्पण कहा जाता है। भावी पीढ़ी को संस्कार वान बनाने में शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। भावी पीढ़ी से ही समाज का निर्माण होता है। इस तरह से बेहतर से बेहतर कार्य करने वाले शिक्षकों को प्रसिद्ध शिक्षक विद डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मोत्सव के पुनीत सुअवसर पर 5 सितम्बर को सम्मानित किया जाता है। इससे समाज में अन्य लोगों को भी प्रेरणा मिलती है। राजकीय इन्टर काॅलेज सुमाडी में कार्यरत वरिष्ठ हिन्दी अध्यापक अखिलेश चन्द्र चमोला निरन्तर अपने शैक्षिक अनुप्रयोगों के आधार पर हर वर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर बिना आवेदन किये ही महत्वपूर्ण राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा सम्मानित होने का गौरव प्राप्त करते हैं। बताते चलें कि चमोला अपने अध्यापन कार्य करने के साथ ही छात्रों में सनातनी संस्कृति के बीज रोपित हों इसके लिए प्रेरणा दायिनी साहित्य का भी सृजन करते हैं। छात्रों को नशे से दूर रहने के लिए उनसे नशा न करने की प्रतिज्ञा दिलाने के साथ ही संकल्प पत्र भी भरवाते हैं। कई वर्षों से ग्रामीण आन्चलिक में अध्ययन रत छात्रों को भव्य मंच पर सम्मानित करने का कार्य भी करते हैं। इस तरह के कार्य करने पर तत्कालीन मुख्यमंत्री सम्मान,राज्यपाल पुरस्कार सम्मान,शिक्षा शिल्पी सम्मान,शिक्षा रत्न सम्मान,शिक्षक विद सम्मान,आदर्श उत्कृष्ट सम्मान,शैक्षिक नवाचार सम्मान,अन्तरराष्ट्रीय शिक्षक सम्मान आदि अनेकों पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। इस वर्ष भी इन्हें उत्कृष्ठ साहित्य लेखन पर शिक्षक दिवस के अवसर पर चित्त पावन भाारत पत्रिका परिवार तथा नव प्रज्ञा काव्य फाउन्डेशन भारत ने उत्कृष्ठ शिक्षक सम्मान से सम्मानित किया। चमोला ने इन संस्थानों का हार्दिक आभार ब्यक्त करते हुए कहा कि मेरे प्रोफाईल के आधार पर मेरा चयन उत्कृष्ठ शिक्षक के लिए किया यह अपने आप में गौरव का विषय है।इस तरह के पुरस्कारों से ऊर्जा का संचार पैदा होता है।

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