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राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों को प्रमाण पत्र जल्द उपलब्ध कराए राज्य सरकार–धीरेंद्र प्रताप

प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से आरक्षण का लाभ आंदोलनकारी को पहुंचाने के लिए उनके परिजनों को जल्द से जल्द आरक्षण प्रमाण पत्र उपलब्ध कराए जाने की अपील की है। धीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि एक ओर तो सरकार इस प्रचार में जुट गई है कि उसने राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी सरकारी सेवाओं में आरक्षण दे दिया है जबकि दूसरी ओर काफी समय गुजर जाने के बाद भी राज्य सरकार ने जिला अधिकारियों को सचिवालय द्वारा वह निर्देश पत्र नहीं भेजा है जिसकी प्रतिलिपि लेकर राज्य आंदोलनकारियों के आश्रित अपने आश्रित प्रमाण पत्र जिला कार्यालय से बनवा सकते हैं। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि इस मामले में जितना विलंब हो रहा है उतना ही राज्य आंदोलनकारियों का नुकसान हो रहा है। उन्होंने इस संबंध में राज्य आंदोलनकारियों के आश्रितों की नौकरी की आयु 42 वर्ष निर्धारित किए जाने को भी बढाए जाने की मांग करते हुए इस आयु की सीमा को कम किए जाने की मांग की है और अधिकतम आयु सीमा इसकी 50 वर्ष निर्धारित किए जाने की मांग की है। धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि जब वह स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी की सरकार में सन 2005 में आंदोलनकारी सम्मान परिषद के प्रथम अध्यक्ष थे तभी उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों को 50 वर्ष तक की आयु में नौकरी दिए जाने का प्रावधान मुख्यमंत्री से पास करवाया था। उन्होंने कहा अब क्योंकि राज्य को बने हुए 24 साल हो चुके और अभी तक भी राज्य आंदोलनकारियों को अपनी नौकरी के अधिकारों से वंचित हैं। ऐसी स्थिति में यदि उनकी आयु की छूट ना दी गई तो 10 फीसदी आरक्षण का लाभ भी उन लोगों को मिल सकेगा या उनके परिवारों को मिल सकेगा,यह स्थिति संदिग्ध ही बनी रहेगी। उन्होंने इस बीच कुछ शरारती तत्व द्वारा हाईकोर्ट में 10 फीसदी आरक्षण दिए आरक्षण के विरुद्ध आवाज उठाए जाने को निन्दनीय ठहराते हुए इन लोगों के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण ठहराया है और सरकार से इन लोगों द्वारा दायर की गई याचिका के विरुद्ध तत्काल स्ट हासिल किए जाने और उसके विरुद्ध कुशल न्यायविदों के एक दल का गठन कर उनको शिकस्त दिए जाने की मांग की है। उन्होंने कहा आरक्षण की व्यवस्था पूरे भारत की कानून व्यवस्था का अंग है और लोकतांत्रिक प्रणाली का एक हिस्सा है। ऐसी स्थिति में कुछ शरारती तत्व एक बने बनाए काम को जब बिगाड़ना चाहते हैं तो कानून को अपना कवच उन्हें दिखाकर यह बताना होगा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है और यदि किनही तत्वों या वर्गों के लोगों को आरक्षण का लाभ मिलता है और उसका कुछ लोगों द्वारा विरोध किया जाता है तो यह देशद्रोह से कम अपराध नहीं है उन्होंने ऐसे तत्वों से सरकार द्वारा शक्ति से निपटने की मांग की है उन्होंने बताया कि इस संबंध में आगामी 26- 27 अक्टूबर को देहरादून में राज्य भर के आंदोलनकारी एक बड़ा सम्मेलन करेंगे और एक महीने की इस सम्मेलन की तैयारी के लिए धीरेंद्र प्रताप व अन्य कई शीर्ष आंदोलनकारी नेता राज्य के तमाम 13 जनपदों का दौरा करेंगे और राज्य आंदोलनकारियों से उनके अधिकारों और मान सम्मान की रक्षा के लिए देहरादून चलो का आह्वान करेंगे।

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