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प्रदीप कुमार

श्रीनगर गढ़वाल।आज दिनांक 19 नवम्बर 2024 को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना संज्ञान में आई है कि बेस अस्पताल श्रीकोट श्रीनगर जो कि रुद्रप्रयाग,चमोली,टिहरी और पौड़ी चार जिलों का मुख्य चिकित्सालय है,उसी पर चिकित्सा अधीक्षक हे.न.ब. टीचिंग चिकित्सालय श्रीनगर गढ़वाल के द्वारा मुख्य गेट पर सूचना लगा कर ओ.पी.डी.के साथ ही आकस्मिक सेवाओं का मुख्य द्वार बंद कर दिया गया।जो आपराधिक कृत्य है जिसके लिए चिकित्सा अधीक्षक पर क़ानूनी कार्यवाही होनी चाहिए आखिर उन्हें यह अधिकार किसने दिया कि वो ओ.पी.डी.के साथ ही दुर्गम पहाड़ी क्षेत्र की आकस्मिक सेवाओं के लिए अस्पताल का गेट बंद कर दे।क्या वह भ्रस्टाचार और अन्य गलत कृत्य को छुपाने के लिए सरकार और मंत्रीजी इनको शह दे रहे हैं। लोगो को डराने के लिए प्रशासन ने जो IPC की धारा 185 और 268 लगाई हैं वो 01 जुलाई 2024 से पहले समाप्त हो गई है उसकी जगह अब भारतीय न्याय संहिता आ गई है।इससे महसूस होता है कि अस्पताल प्रशासन कितना नासमझ और गैर जिम्मेदार है जिन्हे यह ज्ञात ही नहीं है कि भारतीत दंड संहिता ही समाप्त हो गई है।नागरिक मंच श्रीनगर गढ़वाल,श्रीनगर की आम जनता को अपील करता है कि बेस अस्पताल के भ्रस्टाचार के खिलाफ जनता संघटित हो

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