बेस अस्पताल में डायलिसिस मशीनें पूरी तरह सुरक्षित भ्रामक खबरों से सावधान रहें चिकित्सा अधीक्षक
प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ.अजेय विक्रम सिंह ने कहा कि डायलिसिस मरीज की अस्पताल में मौत होने की बातें सोशल मीडिया पर प्रचारित की जा रही है, जो कि भ्रामक खबरें है। कहा कि वर्ष 2018 से बेस अस्पताल में शुरु हुई डायलिसिस से 4 हजार से अधिक बार मरीजों की डायलिसिस की गई,इस दौरान किसी भी मरीज के साथ कोई भी अप्रिय घटना नहीं हुई। कहा कि अस्पताल में डायलिसिस के दौरान मरीजों का सफलतापूर्वक डायलिसिस कराया गया। यहां तक कि कभी रात्रि को इमरजेंसी में डायलिसिस कराने पहुंचे मरीज की भी सकुशल डायलिसिस करायी गई।चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि छह सालों से लगातार अस्पताल में डायलिसिस की बेहतर से बेहतर सुविधा प्रदान की गई।यहीं नहीं मरीजों की संख्या को देखते हुए दो शिफ्टों में डायलिसिस शुरु की गई।अचानक आयी टेक्नीकल खराबी को लेकर लगातार कम्पनी की टेक्नीकल टीम द्वारा सही करने का प्रयास किया जा रहा है। दो नई मशीनों को स्थापित करने का कार्य भी शुरु हो गया है। मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ.सीएमएस रावत ने कहा कि जो डायलिसिस मशीनों के संदर्भ में सोशल मीडिया पर प्रचारित किया जा रहा है वह रिपोर्ट सेंट लुइस मिसौरी यूनाइटेड स्टेट्स की रिपोर्ट है।उसका श्रीनगर मेडिकल कालेज की मशीनों से कोई सरोकार नही है। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के बेस चिकित्सालय मे विश्वस्तरीय डायलिसिस मशीनें स्थापित है।इसमें जनता व मरीज को भ्रमित होने की कतई आवश्यकता नहीं है। फ्रेसेनियस मेडिकल केयर डायलिसिस मशीनें पूरे देश के बड़े अस्पतालों में स्थापित है व विश्वस्तरीय है।कंपनी के डिस्ट्रीब्यूटर बोले,कही से भी किया जा सकता पता।श्रीनगर। बेस अस्पताल में वर्ष 2018 और 2021 में स्थापित हुई फ्रेसेनियस मेडिकल केयर की डायलिसिस मशीनों के संदर्भ में कंपनी के लखनऊ से पहुंचे डिस्ट्रीब्यूटर मनमीत सिंह ने बताया कि कंपनी उत्तराखंड ही नहीं पूरे भारतवर्ष में कंपनी की मशीनें अस्पतालों में स्थापित है।उन्होंने कहा कि यूपी के विभिन्न मेडिकल कॉलेजो में अभी 30 से 35 मशीनें स्थापित की गई। यहीं नहीं एसजी पीजीआई लखनऊ,पीजीआई चंड़ीगढ़,दून मेडिकल कॉलेज,हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज,एम्स ऋषिकेश में पता किया जा सकता है,वहां इसी कंपनी की मशीनें आज मरीजों को बढ़िया डायलिसिस हो रही है। कहा कि मशीनों के संदर्भ में आम जनता के बजाय डॉक्टर से ही पता करे व झूठी एव भ्रामक खबरो से दूर रहे।