पौड़ी गढ़वाल के राजकीय प्राथमिक विद्यालय सुमाडी में नशा उन्मूलन पर बड़ा अभियान अखिलेश चंद्र चमोला ने किया जागरूक
प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल।राजकीय प्राथमिक विद्यालय में हुई नशा उन्मूलन के संदर्भ में कार्यशाला अखिलेश चंद्र चमोला गढ़वाल मंडलीय नशा उन्मूलन प्रभारी शिक्षा विभाग द्वारा राजकीय प्राथमिक विद्यालय सुमाडी विकासखंड खिर्सू जनपद पौड़ी गढ़वाल में नशा उन्मूलन
के संदर्भ में कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें सम्मानित शिक्षा मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत की पहल नशा मुक्त शहर नशा मुक्त गांव नशा मुक्त आसपास का वातावरण के समसामयिक विषय पर नोडल अधिकारी अखिलेश चंद्र चमोला द्वारा विशद रूप से चर्चा पर चर्चा की गई।चमोला ने अपने उद्बोधन में कहा उत्तराखंड देवभूमि की संस्कृति को बचाना है नशे पर पूर्ण रूप से रोक लगाना है नशा एक बीमारी है इसे भगाना हम सब की जिम्मेदारी है। आज युवा अपनी मूलभूत शक्ति को न पहचान कर मादक पदार्थों की ओर जिस तरह से आकर्षित हो रहे हैं वह सबसे चिंतन का विषय है। हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है हम उनके सम्मुख अपने आदर्श रखें। उन्हें अच्छा वातावरण दें। जिससे वह अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों की ओर लगाकर आदर्श नागरिक के रूप में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सके। प्राथमिक स्तर पर ही हमें बच्चों को अपने देश के सच्चे सपूतों की बाल मनोहर कहानियां सुनानी चाहिए। इन कहानियों को सुनकर वे भी महापुरुषों के आदर्श गुणों अपने जीवन में उतारेंगे। यहीं से इनमें नैतिक मूल्यों के बीज आरोपित हो जाएंगे तो कभी भी जीवन में गलत मार्ग का अनुसरण नहीं करेंगे। हमारे उत्तराखंड देवभूमि है,इसके गौरवशाली इतिहास के साथ बच्चों का आत्मसात करना बहुत जरूरी है। ये बच्चे ही राष्ट्र के निर्माता है। इनमें संपूर्ण राष्ट्र की तस्वीर बदलने की क्षमता निहित रहती है। लक्ष्य की प्राप्ति हम तभी कर सकते हैं,जब हम व्यसनों से मुक्त रहें। हम सबका समग्र दायित्व है कि हम नशा मुक्त,खुशहाल उत्तराखंड बनाने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें। प्रधानाध्यापिका श्रीमती मुन्नी रौथाण ने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएं समय-समय पर विद्यालयों में जरूर आयोजित की जानी चाहिए,इससे समाज में जन जागरूकता आती है।नशे की प्रवृत्ति को रोकने में भी ये बड़े सहायक होते हैं। नोडल अधिकारी चमोला ने बच्चों के साथ संवाद भी स्थापित किया।उन्हें जीवन में कभी नशा न करने की भी प्रतिज्ञा दिलाई।इस अवसर पर सहायक अध्यापिका चारु स्मृति डंगवाल,हरेंद्र कुमार ने भी अपने विचार रखे। कार्य शाला का संचालन हरेंद्र कुमार ने किया।