कृष्ण की खुशी में गोपियों की खुशी आचार्य ममगांई की श्रीमद्भागवत कथा
प्रदीप कुमार
पौड़ी/श्रीनगर गढ़वाल।कृष्ण के मथुरा चले जाने के बाद गोपियाँ अपने प्रेमी से अलग होने के गहरे दुःख में डूबी हुई थीं। एक बार द्वारका से एक पर्यटक वृंदावन पहुँचा,तो उसने गोपियों के उदास चेहरे देखे।उन्होंने उत्सुकता से उनसे कृष्ण के बारे में पूछा और उन्हें वह जगह दिखाई जहाँ कृष्ण लीला करते थे,लेकिन कृष्ण की अनुपस्थिति के कारण उनकी आवाज़ में पीड़ा थी। उन्होंने पूछा,कृष्ण कैसे हैं।क्या उन्हें हमारी याद आती है।क्या वे वहाँ खुश हैं।इन सवालों के जवाब में आगंतुक ने जवाब दिया,जहाँ तक मुझे पता है,कृष्ण अपनी पत्नी के साथ वहाँ खुशी से रह रहे हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि उन्हें आप सभी की इतनी याद आती है।उसने यह बात गोपियों को निराश करने के इरादे से कही,ताकि वे भी कृष्ण को भूल जाएँ और आगे बढ़ जाएँ।लेकिन इसके बजाय,जैसे ही उन्होंने सुना कि कृष्ण खुश हैं,वे खुशी से भर गए। वे अपने सभी दुखों को भूल गए,यह जानकर कि उनका प्रिय खुश है और उन्होंने आगंतुक को इतनी अच्छी खबर देने के लिए धन्यवाद दिया।यह बात गुरुवार को पोखड़ा मटगल के दूनधार में आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण के छठवें दिन भक्तों को सम्बोधित करते हुए ज्योतिष्पीठ व्यास पदाल॔कृत आचार्य पंडित शिवप्रसाद ममगांई ने कही। उनकी एक और विनती थी,उन्होंने आगंतुक से कहा,हमारे कृष्ण को हमारा बनाया हुआ मक्खन बहुत पसंद था। कृपया उनके लिए हमसे कुछ ले लीजिए। लेकिन यह मत कहना कि यह मक्खन हमारी तरफ से है और यह भी मत कहना कि उनके चले जाने से हम अभी भी दुखी हैं। हम नहीं चाहते कि हमारे कारण उन्हें कोई तकलीफ हो। हम तो बस यही चाहते हैं कि वे हमेशा खुश रहें।आचार्य ममगांई कहते है कि गोपियों का अपने स्वामी के प्रति इतना गहरा स्नेह देखकर आगंतुक भावविभोर हो गया।वह भारी मन से मक्खन से भरा बर्तन द्वारका वापस ले गया। जब वह कृष्ण के महल में पहुंचा,तो अंदर प्रवेश करते ही उसने देखा कि कृष्ण पहले से ही भोजन करने के लिए तैयार बैठे हैं।रुक्मिणी उन्हें भोजन देने ही वाली थीं कि उन्होंने उन्हें रोक दिया और कहा,मुझे यहाँ से वृंदावन की खुशबू आ रही है।मुझे लगता है कि वृंदावन से कोई आगंतुक महल में आया है।कृपया पहले जाकर उसका स्वागत करें।उससे कहो कि वह पहले मुझसे मिले,वह गोपियों के शुद्ध प्रेम और शुद्ध प्रेम से भरा हुआ होगा,और मुझे यकीन है कि उन्होंने मेरे लिए मक्खन भेजा।इस मौके पर सुरेशानंद धस्माना,सुरज धस्माना,मीरा देवी,नीरज धस्माना,रेंजर देवेंद्र काला,सुरेशानंद धस्माना,जगदीश,कैप्टन महेश्वर प्रसाद,भुवनेश्वर प्रसाद,राजेंद्र प्रसाद,हरीश पोखरियाल,सतीश पोखरियाल,दयाराम,गायत्री देवी,ग्राम प्रधान अरविन्द बंदूनी,अल्का देवी, साधना देवी,स्वाति,सतेश्वरी,नेहा नैथानी,अमिता नैथानी,मीनाक्षी बडोला, ऋतू जोशी,मंजू ध्यानी,निशा शर्मा,श्रुति काला,संगीता बंदूनी,आचार्य अंब्रिश बहुखंडी,आचार्य प्रवीन खुकशाल,आचार्य अमनदीप ध्यानी,आचार्य अंकित केमनी,आचार्य संदीप बहुगुणा,आचार्य हिमांशु मैठाणी,अनिल चमोली,दीपक नौटियाल पोखरियाल पोखड़ा,देवेंद्र कुण्डई,बगड़ीगाड,मटकल विरोधाभास,बाजरों,बेनीवाल,संगलाकोटी,राखा आदि क्षेत्रों से लोग आ रहे हैं