Spread the love

 

प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल। पर्यटन नगरी खिर्सू में पौराणिक कठबद्दी मेला बड़ी धूमधाम से मनाया गया। कठबद्दी मेले में दुरदराज के लोग बड़ी संख्या में मेला देखने पहुंचते हैं, इस वर्ष यह आयोजन कोठगी गांव में संपन्न हुआ। खिर्सू के विभिन्न गांवों के ग्रामीण क्षेत्रवासी ग्वाड़,कोठगी,खिर्सू,चौब्बटा,मेलचौरी,मरखोड़ा, पैंयापाणी आदि गांव वाले मेले की एक सप्ताह पूर्व तैयारीयां करना शुरू कर देते हैं, ग्रामीण बब्ल्यू घास से रस्सी तैयार करते हैं इसी रस्सी के सहारे काठ-लकड़ी के पुतले को ऊंचाई से कोठगी गांव तक करीब ढाई सौ मीटर तक नीचे सरकाया जाता है,बाद में ग्रामीण रस्सी के लिए संघर्ष करते हैं,रस्सी सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है,संपत सिंह रावत ने बताया कि मेले में परंपरागत वाद्य यंत्रों व ढोल-दमाऊं के साथ घंटाकर्ण-भैरव देवता की पूजा अर्चना की जाती है। इस परम्परा से क्षेत्र में सुख समृद्धि व उन्नति प्राप्त होती है। संपत सिंह रावत ने बताया की पुराने जमाने में रस्सी के सहारे काठ से बने एक घोड़े पर बेड़ा जाति के एक व्यक्ति को बैठा कर छोड़ा जाता था,काठ का घोड़ा उसे व्यक्ति के साथ रस्सी के सहारे नीचे आ जाता था। लेकिन समय के अनुसार यह परंपरा बदली और अब आकर्षण बद्दी बुरांस की लकड़ी से बनाया जाता है और इस इंसान का रूप दिया जाता है। कहां जाता है कि यह मेला बद्दी जाति के लोगों से जुड़ा है लोगों का मानना है कि इससे वन देवी खुश हो जाती है तथा प्राकृतिक आपदाएं और वन्यजीवों से उनकी रक्षा होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsapp