जखोली में कलश लोक साहित्यिक संस्था की 14वीं स्थापना दिवस पर काव्य गोष्ठी आयोजित
प्रदीप कुमार
जखोली/श्रीनगर गढ़वाल। कलश लोक साहित्य एवं संस्कृति चैरिटेबल ट्रस्ट की 14वीं स्थापना दिवस पर जखोली के ओंकारानंद इंका में काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी,जिसमें कलश संस्था से जुड़े कवियों ने वर्तमान व्यवस्था पर तंज कसे। बुधवार को जखोली में आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए विद्यालय के प्रबंधक ललिता प्रसाद भट्ट ने कलश साहित्यिक संस्था की 14वीं स्थापना दिवस पर संस्था से जुड़े लोगों को बधाई देते हुए कहा कि संस्था द्वारा लगातार अपने लोक भाषा ओर संस्कृति का प्रचार प्रसार कर संरक्षण में अद्वितीय योगदान दिया जा रहा है,जो निश्चित रूप से भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत का काम करेगी। उन्होंने संस्था के संस्थापक ओमप्रकाश सेमवाल सहित अन्य सदस्यों को समाज में गढ़वाली भाषा को लगातार प्रोत्साहन देने को लिए सराहनीय कदम बताया है। इस अवसर पर संस्था के संस्थापक
ओमप्रकाश सेमवाल ने कलश संस्था की 14 वर्ष की जात्रा के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए अपने गढ़वाली कविता हिटदि रा तुम से लोगों को प्रेरित किया है। हास्य कवि मुरली दीवान ने छोड़ यार तु बेकार बात ना कर यार,चंद्रशेखर पुरोहित ने मास्टरेणी ब्यथा,कवियत्री कुसुम भट्ट ने छ्वीं बथ रंत-रैबार चिठ्ठी पत्री फोन पर,उपासना सेमवाल ने आज कन्यादान करी सप्पा रीतु ह्वयुं,कवियत्री वेदिका सेमवाल ने भली नि वौन्दि बल स्या बरात जख नि मिलदि बल बोतला बोतली शराब,आशा चमोला ने जीता गौं रीता ह्वेग्या,विनयदीप पैन्यूली ने ख़्वाजेद्या मिथे ब्योली,कवि सम्मेलन के संयोजक अश्विनी गौङ ने ना नाक स्यण्का ना गौणौ गढ़ै,नै साले तौंभी बधै,ब्रह्म प्रकाश ने कि कुछ भी समझ नि ओणि च मेरी ने कविता पाठ कर लोगों का मन मोह लिया। इस अवसर पर जसपाल भारती,सुनील थपलियाल,प्रवीन जोशी,हरीश पुण्डीर,मयंक,अंशुल सहित विद्यालय परिवार के कई लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन संस्था के संस्थापक ओमप्रकाश सेमवाल व गोष्ठी के संयोजक अश्विनी गौड़ ने संयुक्त रूप से किया है।