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प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। एक अविस्मरणीय सुरम्य संध्या अर्चना राय एवं रतन राय द्वारा आयोजित गोष्ठी में अविरल बहीं काव्य/साहित्य कला-संगीत की मिश्रित निर्झरणियां। नरेन्द्र उनियाल ने प्रभावशाली लघु कथाएं सुनाकर गोष्ठी का सात्विक साहित्यिक शुभारंभ किया।आपकी लघुतम संरचना वाली तेजधार कहानियों की विषयवस्तु के साथ विशिष्ट प्रस्तुतीकरण शैली ने उपस्थित साहित्य प्रेमियों को अविलंब साहित्य संसार में प्रक्षेपित कर दिया। तत्पश्चात मंच के सुविख्यात ओजस्वी कवि श्रीकांत शर्मा ने आवेशित काव्य धारा का प्रवाह कर कविता रूपी सरिता को नवगती प्रदान की तो सभाकक्ष करतल ध्वनियों से गूंज उठा। राष्ट्रीय वंदना के स्वरों में अपनी रचनाओं की नीरा समावेशित कर राजेन्द्र डोभाल ने परिवेश को स्वदेश प्रेम से सराबोर कर दिया। प्रोफेसर सुनीत नैथानी ने अपने मुक्तकों व पर्यावरणीय चेतना जागृत करती रचनाओं के माध्यम से अपनी उपस्थिति की सार्थकता को प्रमाणित किया। आपके ही सहकर्मी दून विश्वविद्यालय में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रोफेसर सबरंग ने विविधतापूर्ण रचनाओं की प्रस्तुतियों से अपने साहित्यिक हस्ताक्षर अंकित किए। सेवा निवृत्त चीफ इंजीनियर सुभाष सैनी ने संभावमि युगे युगे की आधारशिला पर अपनी काव्य स्थापत्य कला का परिचय दिया। संयुक्त शिक्षा निदेशक राकेश चंद्र जुगराण ने हास्य व्यंग्य से सुशोभित कविता का पाठ कर श्रोताओं को ठहाके लगाने पर विवश कर दिया। अर्चना राय एवं रतन राय ने संयुक्त रूप से गायन करते हुए जुगलबंदी का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। गीतों के क्रम में वर्मा ने अपने सुंदर गायन के माध्यम से काव्य रसिकों को भरपूर आनंद प्रदान किया। एस.सी.ई.आर.टी.से पधारे अवनीश उनियाल तथा दैनिक जागरण के पूर्व पत्रकार लक्ष्मी प्रसाद बडोनी की गजलें महफिल लूटने में कारगर रहीं। नीरज नैथानी ने “चट्टान से बात” कविता सुनाकर पर्वतीय सौंदर्य एवं पर्यावरणीय संदर्भ को चित्रांकित किया। डी.ए.वी.कॉलेज संस्कृत विभाग के प्रोफेसर राम विनय सिंह ने जब “आग आग खेली है तुमने,हिम के आंगन में ” गीत का सुमधुर कंठ से गायन कर धधकते पहाड़ों की पीड़ा को व्यक्त किया तो समस्त संवेदनशील रचनाकार अत्यंत भावुक हो गए। प्रवीण ममगाईं ने समापन से पूर्व विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत कर समस्त सहभागियों को सफल आयोजन की बधाई दी। राय दंपति ने गोष्ठी की कालावधि में विभिन्न प्रकार के मिष्ठान व्यंजन परोसकर
गोष्ठी को मधुमय कर दिया। विदाई से पूर्व छोले,खस्ते,आलू तरी,रसगुल्ले,केक,फल,स्विदिष्ट पान इत्यादि का रसास्वादन लेते हुए सभी कह रहे थे अहा,आनंद आ गया किन शब्दों में धन्यवाद ज्ञापित करें राय दंपति के आतिथ्य सत्कार का।

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