प्रदीप कुमार श्रीनगर गढ़वाल। उत्तराखंड राज्य एक पहाड़ी प्रदेश है इस राज्य का निर्माण नौ नवम्बर सन 2000 में हुआ। इस राज्य के निमार्ण का मुख्य कारण यहां की भौगोलिक भू भाग के आधार पर किया गया है जिसमें कि दो मण्डल गढ़वाल और कुमाऊं सम्मिलित किए गए और इन मण्डलों में तेरह जिले शामिल हुए। यहां की भौगोलिक स्थिति बहुत ही विकट और कठिनाइयों से भरी हुई है। यह राज्य गांवों में बसता है और यहां के लोग गांवो में रहते थे और आपना रोजगार भी खेती बाड़ी और छोटी किसानी से की जाती थी। उत्तराखंड राज्य का निर्माण होने पर यहां के लोगों ने अपनी शहादत दी और तब राज्य का निर्माण हुआ लोगों को लगता था कि अब अपना राज्य बन गया है निश्चित हमारी समस्याओं का समाधान और रोजगार का सृजन होगा परन्तु पहाड़ी भू भाग होने के कारण आज यह राज्य लोगों के सपनों के अनूरूप आगे नहीं बढ़ सका जिससे यहां के लोगों द्वारा पलायन किया गया लोग रोजगार और अच्छी शिक्षा,स्वास्थ्य के लिए गांवों को छोड़कर मैदानी क्षेत्रों तराई क्षेत्र में जाने को मजबूर हो गए हैं जिससे की आज पहाड़ों के गांव विरान हो रहें हैं। मैं आपको यह जानकारी देना चाहता हूं कि हमारे पहाड़ो में जितने भी गांव बसे हुए हैं वे सभी ऐसे स्थानों पर हमारे पूर्वजों द्वारा बसाए गए हैं जहां पर कि पानी के प्राकृतिक श्रोत,नौला,धारा,कुंआ हुआ करते हैं। जिससे कि गांव में रहने वाले अपने पीने के पानी, मवेशियों को पीने का पानी,अपने दैनिक कार्यक्रम और अन्य आवश्यकता को भी इन नौला धारा के पानी से पूरा किया जाता रहा है। यहां तक कि गांव के लोग उस पानी को एक गड्ढा खोद कर उसमें जमा किया जाता था और उस पानी को अपने घर की क्यारियों,साग सब्जी उगाने के लिए भी उपयोग किया जाता रहा है। परन्तु आज गांव विरान हो गए हैं वहां के प्राकृतिक श्रोत नौवां,धारा,कुण्ड सभी सूखने की कगार पर हैं या कुछ धारे तो प्राकृतिक आपदाओं और पर्यावरणीय गतिविधियों के कारण अपने स्थानों से विलुप्त हो गए हैं। जो लोग आज भी गांवों में रह रहें हैं उनके सामने पीने के पानी की समस्या खड़ी हो गई है और उनको वहां पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार द्वारा गांव से बहुत दूर गाड गदेरों या नदियों से पम्पिगं से पानी पहुंचाने का प्रयास तो किया जाता रहता है पर यह सब क्षणिक होता है क्योंकि पहाड़ो में हर समय प्राकृतिक आपदा का खतरा बना रहता है। इसलिए आज पहाड़ों के लिए यह जरूरी हो गया है कि हमारे गांवों में जो प्राकृतिक श्रोत नौला धारा कुण्ड आदि हैं उनकी ओर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है जिससे उन नौला धारा कुण्ड को पुर्नजीवित किया जा सके और वे अपने पुराने अस्तित्व में आ जाएं। जसपाल सिंह गुसांई द्वारा लगातार इस विषय पर काम किया जा रहा है और उन्होंने कहा कि मैने सबसे पहले अपनी पट्टी बच्छणस्यू क्षेत्र के सभी गांवों के प्राकृतिक श्रोतों का भ्रमण किया है और उनकी मुहिम है कि कैसे भी इन प्राकृतिक श्रोतों नौला धारा कुण्ड को बचाया जा सकता है। उन्होंने सभी सामाजिक संगठनों,महिला समूहों,और जागरूक लोगों से अपील की है कि वे इस अभियान का हिस्सा बने हमारे पहाड़ो की धरोहर की रक्षा सुरक्षा के लिए अपना अमूल्य समय निकालें। प्रकृति की सुन्दरता,मानव जीवन,जीव जन्तुओं और हरियाली के लिए जल का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में अब यदि कोई बड़ा काम होना है तो वह जल को बचाने के लिए होना चाहिए। प्राकृतिक श्रोतों के संवर्धन,और संरक्षण पर सरकारों को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है नहीं तो वह समय दूर नही होगा जब पहाड़ो पर भी पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ेगा।