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केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के तीन शास्त्रों के एक मासीय वर्गों का समापन

प्रदीप कुमार देवप्रयाग/श्रीनगर गढ़वाल। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के तीन परिसरों में आयोजित अखिल भारतीय स्तर के तीन प्रशिक्षण वर्गों का समापन हो गया। एक माह तक चले इन शिविरों में विभिन्न विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों ने अध्यापन कर विद्यार्थियों की जिज्ञासाएं शांत कीं। तीनों शास्त्रों की स्पर्धाओं में प्रथम,द्वितीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को क्रमशः 11 हजार, सात हजार और पांच हजार रुपये तथा प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। शलाका परीक्षा में अव्वल रहे विद्यार्थियों को भी पुरस्कृत किया गया। केंद्रीय संस्कृत विश्वद्यालय संस्कृत और संस्कृत शास्त्रों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में वर्षों से क्रियाशील है। कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी ने विश्वविद्यालय में शास्त्र रक्षा अभियान चलाया हुआ है। इसके अंतर्गत इस वर्ष विश्वविद्यालय के 12 में से तीन परिसरों में एक-एक महीने के विशेष शिविर आयोजित किए गये। जयपुर परिसर में व्याकरण,राजीव गांधी परिसर,शृंगेरी में अद्वैत वेदांत और श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर,देवप्रयाग में न्याय शास्त्र के प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किये गये। श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर के प्रशिक्षण वर्ग में उदयनाचार्य के ग्रंथ ’न्यायकुसुमांजलि’ का अध्ययन कराया गया। विषय विशेषज्ञों में महामहोपाध्याय देवीदत्त पाटिल,संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के न्याय विभाग के सहायक आचार्य कुंज बिहारी,केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,शृंगेरी परिसर के श्याम सुंदर,राघवेंद्र उर्ली,राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय तिरुपति के आचार्य ओजीपी कल्याण शास्त्री,संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रो.रामपूजन पांडेय तथा कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के.ई.देवनाथन,संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.राजाराम शुक्ल आदि ने व्याख्यान दिये। बुधवार को तीनों परिसरों में आयोजित कार्यक्रमों के समापन पर विद्यार्थियों ने शास्त्रार्थ किया। श्री रघुनाथ कीर्ति परिसर में मुक्ता एस तथा सहाना जेएन ने शास्त्रार्थ में भाग लिया। शलाका परीक्षा में मुक्ता एस.प्रथम रहीं। न्याय शास्त्र प्रशिक्षण वर्ग में प्रथम स्थान पर मुक्ता एस,द्वितीय स्थान पर सुधन्वा आर तथा तृतीय स्थान पर सत्यप्रमोद एचवी रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे निदेशक प्रो.पीवीबी सुब्रह्मण्यम,मुख्य अतिथि साहित्य विभाग संयोजिका प्रो.चंद्रकला आर.कोंडी तथा विशिष्ट अतिथि साहित्य विभाग प्राध्यापक डॉ.शैलेंद्र नारायण कोटियाल ने इन विद्यार्थियों को नगद राशि एवं प्रमाण पत्र प्रदान किये। छात्रा मीमांसा ने प्रशिक्षण वर्ग के अनुभव व्यक्त किये। निदेशक प्रो.सुब्रह्मण्यम ने छात्रों से कार्यक्रम के संदर्भ में प्रश्न पूछे। स्थानीय स्तर पर समापन कार्यक्रम का संयोजन जनार्दन सुवेदी ने किया। विश्वविद्यालय के संपूर्ण समापन कार्यक्रम का आयोजन जयपुर परिसर में किया गया। मुख्य अतिथि कर्नाटक संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.केई देवनाथन ने इन वर्गों को शास्त्र संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण बताया। विशिष्ट अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.ब्रजभूषण ओझा ने विद्यार्थियों के शास्त्रार्थ की सराहना की। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो.श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि शास्त्रों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन नितांत आवश्यक है। यह अभियान जारी रहेगा। अखिल भारतीय शास्त्र प्रशिक्षण वर्ग के राष्ट्रीय संयोजक प्रो.कुलदीप शर्मा ने बताया कि वर्गों में भागीदारी के लिए अखिल भारतीय स्तर पर परीक्षा और साक्षात्कार का आयोजन किया गया था। प्रो.शर्मा ने बताया कि इन वर्गों का उद्देश्य अगली पीढ़ी तक हमारे शास्त्रीय ज्ञान को हस्तांतरित करना है। उन्होंने बताया कि भविष्य में हर परिसरों में ऐसे विभिन्न शास्त्र प्रशिक्षण वर्ग आयोजित किये जाएंगे।
इस अवसर पर डॉ.ब्रह्मानंद मिश्रा,डॉ.अरविंद सिंह गौर,पंकज कोटियाल,डॉ.वीरेंद्र सिंह बर्त्वाल,डॉ.अनिल कुमार,डॉ.श्रीओम शर्मा,डॉ.सुरेश शर्मा,डॉ.मनीष शर्मा,डॉ.मनीष आर्या,डॉ.शैलेंद्र प्रसाद उनियाल आदि उपस्थित थे।

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