श्रीनगर गढ़वाल। बैशाख शुक्ल पंचमी जगद्गुरु आदि शंकराचार्य जयंती के शुभ अवसर को भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस शृंखला में हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के सौजन्य से एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। 29 जुलाई को आयोजित यह संगोष्ठी भारतीय ज्ञान परंपरा पर केंद्रित रही। दर्शनशास्त्र की विभागाध्यक्ष प्रो.इंदु पांडेय खण्डूरी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए भारतीय ज्ञान परंपरा के महत्त्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने शंकराचार्य जयंती को भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में मनाए जाने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को भी स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि श्रृंगेरी मठ के शंकराचार्य ने भारत के प्रधानमंत्री भारतरत्न अटल बिहारी बाजपेई के समय में शंकराचार्य जयंती को भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा। परिणामस्वरूप कुछ वर्ष पहले भारत सरकार ने यह पहल की। प्रो.खंडूरी भारतीय दार्शनिक दिवस के रूप में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का सार प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि गढ़वाल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.अन्नपूर्णा नौटियाल ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा ज्ञान विज्ञान और समग्र जीवन दर्शन का समुच्चय है। नई शिक्षा नीति के द्वारा भी पारंपरिक ज्ञान की ओर लौटने पर बल दिया गया है। उन्होंने आधुनिक विज्ञान तथा भारतीय ज्ञान परंपरा के संतुलन को विकसित भारत की परिकल्पना को धरातल पर उतारने के लिए आवश्यक बताया। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को पुस्तकालयों में मूल ग्रंथ पढ़ने चाहिए। वक्ता प्रो.शिवानी शर्मा आचार्य दर्शनशास्त्र विभाग पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ ने सौंदर्य शास्त्र की बारीकियों को समझाते हुए सत्यम,शिवम और सुंदरम की अवधारणा,इसकी उपयोगिता और वर्तमान प्रासंगिकता को स्पष्ट किया। वक्ता प्रो.द्वारकानाथ अध्यक्ष दर्शनशास्त्र विभाग डीडीयू गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर ने योग दर्शन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि,निष्काम कर्म सहित योग के विविध पक्षों पर प्रकाश डाला। वक्ता प्रो.पी.के.दास अध्यक्ष दर्शनशास्त्र विभाग नयागढ़ कॉलेज उत्कल विश्वविद्यालय उड़ीसा ने न्यायदर्शन के ज्ञानमीमांसीय और अन्य पक्षों को व्याख्यायित किया। वक्ता प्रो.अरविंद विक्रम सिंह अध्यक्ष दर्शनशास्त्र विभाग राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर राजस्थान ने भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत सतत विकास की अवधारणा और इसकी उपादेयता को सुस्पष्ट किया। कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो.हिमांशु बौड़ाई संकायाध्यक्ष मानविकी और समाज विज्ञान संकाय गढ़वाल विश्वविद्यालय ने कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई दी तथा भारतीय ज्ञान परंपरा के विविध पक्षों पर अपनी बात रखी। उन्होंने दर्शन और मानव जीवन में नीतिशास्त्र के महत्त्व को स्पष्ट किया। डॉ.ऋषिका वर्मा असिस्टेंट प्रोफेसर दर्शनशास्त्र विभाग ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ.कविता भट्ट असिस्टेंट प्रोफेसर दर्शनशास्त्र विभाग ने किया। ब्लेंडेड मोड में आयोजित इस कार्यक्रम में योग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ.अनुजा रावत,डॉ.विनोद नौटियाल,डॉ.रजनी नौटियाल,डॉ.चिंताहरण,डॉ.घनश्याम,डॉ.किरण आदि सहित अनेक विभागों के आचार्य,शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में प्रतिभाग किया। रेखा डंगवाल,ओम प्रकाश,पूनम रावत और अनिल कठैत ने कार्यक्रम में सहयोग किया।