शिवप्रिया देवशक्ति श्री नंदा अष्टमी पर्व खोला गांव में बड़े ही धूमधाम से आयोजित हुआ
प्रदीप कुमार
श्रीनगर गढ़वाल। देवभूमि की ऐतिहासिक नगरी श्रीनगर के निकट गौल्क्षया पर्वत की तलहटी पर बसा रमणीक गांव और अष्टावक्र की तपोस्थली खोला क्षेत्र में आज 11 सितंबर 2024 को श्री नंदा अष्टमी के शुभ अवसर पर कुलदेवी मां श्री नंदा की पूजा अर्चना करते हुए पूर्व की भांति इस वर्ष भी श्रद्धापूर्वक अपनी विशिष्ट परंपरा को आगे बढ़ते हुए आकर्षित दो दिवसीय मेले को उत्साह के साथ पूजा अर्चना करते हुए प्रारंभ करते हैं। “श्रीनंदा” हिमालयी संस्कृति में एक अति ही श्रृद्धा विश्वास प्रेम आदर,आदर्श,मातृस्वरूप,शक्ति,भक्ति,ज्ञान छह सरलता शालीनता उपासना के अलावा हर मनोकामना पूर्ण करनेवाली साक्षात श्री शिवप्रिया,देव-शक्ति हैं।जो कैलाश वासिनि तो हैं ही पर क्षेत्र के गांवों में भी निवास करती है। वह अपने मैती भक्तजनों पर प्यार दुलार बरसाती रहती है। श्रीनंदा के प्रति श्रृद्धा आभार व्यक्त करने के लिए हर वर्ष “श्रीनंदा अष्टमी”पर्व जो सितंबर माह में आता है मनाने की विशिष्ट परंपरा है। उत्तराखंड राज्य में तो यह विशेष श्रृद्धा विश्वास का पर्व है। इसी श्रृंखला में श्रीनगर के समीप खोला गांव की कुल देवी श्रीनंदा की पूजा-अर्चना का क्रम प्रारंभ हो गया है। मां के पूजन के दिन के निश्चित होनेके बाद से ही देवार्चना कार्यक्रम प्रारंभ हो जाते हैं। विधिवत हरियाली बोई जाती है। श्रीदेवी का स्वरूप पूजा स्थान में स्थापित किया जाता है।उसका विधिवत पूजन यजन प्रारंभ हो जाता है। गांव की बहुवें सज-धज कर सिर पर पुजा अर्चना थाल लेकर ढोल दमाऊं के साथ मंदिर प्रांगण में श्री बाल भैरव,ईष्ट देव श्री नागराजा,नृसिंह,श्री शिव स्वरूप अष्टावक्र महादेव व पित्रदेव,क्षेत्र के देवी देवताओं का विधिवत स्मरण व श्रृद्धा पूर्वक श्री मां नंदा के पूजार्थ विग्रह का पूजन करते हैं। इसी प्रकार श्री मां का पूजन यजन के लिए गांव की ध्याणों बहन बेटियों को भी आवश्यक रूप से सादर आमंत्रित किया जाता है। पूजा कार्य में सम्मिलित किया जाता है। वैसे महिलाएं सज-धज कर सिर पर दोंण कल्यो-कंडी लेकर श्री मां का पूजन करते हैं। श्री मां नंदा के निमित्त चीड़ का एक लम्बा वृक्ष समीप के जंगल से चुन कर लाया जाता है। यह दैवी शक्ति के साक्षात्कार की परंपरा है। जब पूरा गांव एक साथ मिलकर बहुत भारी वृक्ष को उठाकर देवी के मंदिर पटग्याण तक लाते हैं और उसे सीधा खड़ा कर देते हैं। उस पर फल फूल सब्जी और स्थानीय उत्पाद सजाये जाते हैं। फिर कोई गांव का श्रृद्धालु उस वृक्ष पर चढ़ कर उस पर लगे फल फूलों को प्रसाद रूप में फेंकता है। अंत में पिंठाई अक्षत हरियाली प्रसाद देकर मेला विसर्जन होता है। इस वर्ष श्री नितिन घिल्डियाल,नवोदित सिने कलाकार मोहित भी मुख्य आकर्षण बने रहे। इस कार्यक्रम में मां नंदा के भक्तगण उपस्थित रहे जिसमें न्यायमूर्ति मदन मोहन,विधि शंकर घिल्डियाल,प्रेमबल्लभ घिल्डियाल,केशवानंद,पुरषोत्त,जगदंबा,भगवती प्रसाद,भगवान,आशुतोष घिल्डियाल दुर्गा,अनुप घिल्डियाल,चक्रधर घिल्डियाल,देवेन्द्र,डॉ.मीना घिल्डियाल काला,डॉ.शंकर काला,रजत,जय घिल्डियाल,अभिषेक घिल्डियाल,सहित भारी जन समूह उपस्थित था।