विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र भण्डारी तीन वर्षों से कर रहे अनाथ बच्चियों की मदद
प्रदीप कुमार जखोली/श्रीनगर गढ़वाल। विकास खण्ड़ जखोली के मवाणगांव निवासी हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर में कार्यरत कर्मचारी संगठन के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान में उत्तराखण्ड विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह भण्डारी ने एक बार फिर से पिछले तीन वर्षों की भांति इस वर्ष भी दीपावली के अवसर पर विकास खण्ड जखोली के तीन गांवों की अनाथ बालिकाओं के घर जाकर इनकी मदद में अपना हाथ बढ़ाया है। राजेन्द्र सिंह भण्डारी ने बताया है कि विगत तीन वर्षों से इन तीनों अनाथ हुई बेटियों के भविष्य को मध्य नजर रखते हुए इनको मासिक सहायता के तौर पर प्रति माह एक एक हजार रुपए की आर्थिक मदद बैंक खातों में जमा करते आ रहे हैं। गुरुवार को दीपावली के दिन राजेन्द्र भण्डारी ने इस वर्ष भी तीनों बेटियों के घर जाकर आर्थिक मदद के साथ साथ दीपावली की मिठाई उन्हीं दी है। विदित हो कि इन बच्चियों के माता पिता अब इस दुनिया में नहीं हैं और मवाणगांव निवासी राजेन्द्र सिंह भण्डारी एक सरकारी कर्मचारी होते हुए पिछले तीन सालों से प्रति माह अपने वेतन से बैंक के माध्यम से इन तीनों अनाथ बच्चियों की सहायता करते आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि दीपावली पर्व के दिन पहले वह जखोली ब्लाक की ग्राम पंचायत पालाकुराली पहुंचे जहां उन्होंने तीन वर्ष पहले अनाथ हुई बच्ची को मिठाई व आर्थिक मदद दी। उसके बाद वह दूसरी अनाथ हुई बेटी ग्राम कपणियां निवासी कुमारी खुशी के घर जाकर उसके परिजनों को मिले व तीसरी बेटी ग्राम धाटकोट निवासी कुमारी वर्षा के घर पर मुलाकात कर मिठाई व आर्थिक सहायता पहुंचाई। राजेन्द्र सिंह भण्डारी ने बताया कि दीपावली की मिठाई पहुंचाने के साथ ही उनकी पड़ाई लिखाई के बारे में उन्होंने जानकारी प्राप्त की व उन्हें अपने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने की कोशिश भी उन्होंने की है। भण्डारी ने बताया कि जब पूरे विश्व में करोना महामारी से लाखों लोगो ने अपनी जान गवाई थी, तब इन तीनों बेटियों ने भी अपने माता-पिता को खो दिया था,जब उन्हें इस सम्बन्ध में पता चला,तो तब से वह इन तीनों बेटियों की छोटी सी मदद करते आ हैं। और अपने मासिक वेतन से प्रतिमाह एक छोटी सी राशि इन तीनों के बैंक खातों में भेजते आ रहे हैं। भण्डारी का कहना है कि वह भलि भांति जानते हैं कि जो राशि वे मदद के तौर पर इन्हें पहुंचाते हैं,वह इनके लिए पर्याप्त नहीं है,परन्तु फिर भी उनकी यह छोटी सी कोशिश इन बच्चियों के भविष्य को संवारने में अवश्य मील का पत्थर साबित होगी।